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मुख्य सचिव से मिलने मंत्रालय पहुंचे दैवेभो कर्मचारी, वित्तीय भार का बताया गणित

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रायपुर। छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी फेडरेशन के प्रदेश संयोजक रामकुमार सिन्हा, छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ के प्रान्ताध्यक्ष कमलनारायण साहु, जनक लाल साहु, छ. ग. उधानिकी दैनिक श्रमिक संघ के प्रान्ताध्यक्ष चितरंजन दास, महामंत्री विजय पटेल, छ. ग. राज्य दै. वे. भो. के प्रान्ताध्यक्ष मिलाप यादव,

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निशांत राज दुबे, छ. ग. जल संसाधन विभाग दै. वे. भो. कर्म. संघ के प्रान्ताध्यक्ष मनोज कुमार सोना,राकेश साहु, महेश सिन्हा, दीपक सोनी, शरद यादव, सोमन राव, कृष्णा साहु इत्यादि प्रतिनिधि मंडल ने रामकुमार सिन्हा के नेतृत्व में मुख्य सचिव से, मुलाकात करने मंत्रालय पहुंचे।

फेडरेशन के पदाधिकारियों से मुलाकात करने हेतु टी. एस. सिंह देव ने पत्र लिखा था, जिसके तहत फेडरेशन के संयोजक सिन्हा ने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुये दो सुत्रिय मांगों के मांग पत्र प्रस्तुत किया है, जिसमें दैनिक वेतन भोगी/वाहन चालक/कम्प्युटर आपरेटर/ कार्यालय सहायक/दैनिक श्रमिक/तेन्दुपत्ता गोदाम सुरक्षा श्रमिकों का नियमितीकरण तथा स्थायीकरण करने पर कितना वित्तीय भार आयेगा यह प्रस्ताव बनाकर मुख्य सचिव को दिया गया है।

अगर छत्तीसगढ़ की सरकार दैनिक वेतन भोगियो को नियमितीकरण करता है तो 289,45,90,420 दो सौ नवासी करोड़ पैतालिस लाख नब्बे हजार चार सौ बीस रूपया वार्षिक वित्तीय भार आयेगा। जिसमें माननीय मुख्य मंत्री ने 240,00,00,000₹ दो सौ चालिस करोड़ रूपया श्रम सम्मान निधी के रूप में 4000 रूपया प्रतिमाह देने का घोषणा किया हुआ है।

अगर नियमितीकरण कर देता है तो 49,45,90,240 उनचास करोड़ पैतालिस लाख नब्बे हजार दो सौं चालिस रूपया बस और देना पड़ेगा, जिससे समस्त दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की नियमितीकरण हो जायेगा और सरकार की वाह वाही हो जायेगा किन्तु सरकार को दिशा दशा देने वाले लोग सार्थक परामर्श नही दे पा रहे है जिसके कारण मुख्यमंत्री सार्थक निर्णय आज दिवस तक नही ले पाये है।

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फेडरेशन के प्रदेश संयोजक रामकुमार सिन्हा ने बताया की सरकार आसानी के सांथ नियमितीकरण कर सकती है जिसमें अत्यधिक वित्तीय भार नही आयेगा और छत्तीसगढ़ के समस्त दैनिक वेतन भोगी लाभवांन्वित हो जायेगें। प्रदेश संयोजक ने कहा की भूपेश है तो भरोसा है का नारा परोसा जाता है, देखना है कि वास्तव में भूपेश है तो भरोसा है या नही यह तो नियमितीकरण के निर्णय के बाद ही पता चलेगा। पुरे छत्तीसगढ़ के दैनिक वेतन भोगी मुख्यमंत्री के मुख से नई घोषणाओं को सुनने की ईच्छुक है देखते है मुख्यमंत्री नियमितीकरण व स्थायीकरण का फैसला कब तक लेते है।