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हिंसा पर सेना का बयान, मणिपुर में महिला एक्टिविस्ट जानबूझकर रास्तों को अवरुद्ध कर रही

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इंफाल। सेना ने कहा कि हिंसा (MANIPUR HINSA) प्रभावित मणिपुर में महिला कार्यकर्ता जानबूझकर मार्गों को ब्लाक कर रही हैं और सुरक्षा बलों के अभियानों में हस्तक्षेप कर रही हैं। सेना ने लोगों से पूर्वोत्तर राज्य में शांति बहाल करने में मदद करने का आग्रह किया है। सेना का यह बयान इंफाल पूर्व के इथम गांव में सेना और महिलाओं के नेतृत्व वाली भीड़ के बीच गतिरोध के दो दिन बाद आया है, जिसके कारण सेना को वहां छिपे 12 आतंकवादियों को छोड़ना पड़ा।

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भीड़ ने सेना को KYKL के 12 सदस्यों को ले जाने से रोका

सेना ने बताया कि 2015 में 6 डोगरा यूनिट पर घात (MANIPUR HINSA)  लगाकर किए गए हमले सहित कई हमलों में शामिल मैती उग्रवादी समूह कांगलेई यावोल कन्ना लुप (केवाईकेएल) के 12 सदस्य गांव में छिपे हुए थे, लेकिन भीड़ ने उन्हें ले जाने से रोक दिया। बाद में, सुरक्षाकर्मी जब्त हथियार और गोला-बारूद लेकर चले गए।

अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत

पूर्वोत्तर राज्य में मैती और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा (MANIPUR HINSA)  में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। मैती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद तीन मई को पहली बार झड़पें हुईं। मणिपुर की आबादी में मैती लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं। आदिवासी नागा और कुकी आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं।