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अलग ख़बर : नगरनार इस्पात संयंत्र के लिए चार गांवों की ज़मीन बाक़ी

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रायपुर। भारत सरकार के केबिनेट सचिव राजीव गोबा ने राज्य के मुख्य सचिव आरपी मंडल से चर्चा की। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्यों में निर्मित हो रहे बहुउद्देश्यीय सड़क परियोजना-रेल परियोजना-लौह-स्टील परियोजनाओं के प्रगति की जानकारी ली।

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छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में नगरनार गांव में स्थापित होने वाले स्टील प्लांट के संबंध में गोबा ने जानकारी ली। मुख्य सचिव आर.पी. मण्डल ने बताया कि नगरनार स्टील प्लांट के निर्माण से प्रभावित होने वाले 61 गांवों में से 57 गांवों में भू-अर्जन और अन्य प्रक्रियाएं पूरी कर ली गयी है।

शेष बचे हुए चार गांवों में भू-अर्जन की प्रक्रिया नवम्बर 2020 के अंत तक पूरी कर ली जाएंगी। बैठक में अपर मुख्य सचिव वन-उद्योग विभाग मनोज पिंगुआ और सचिव राजस्व विभाग रीता शांडिल्य भी उपस्थित थे।

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ज्ञात हो कि नगरनार की नगरपालिका वहाँ एक इस्पात संयन्त्र स्थापित कर रही है जिसकी क्षमता ३० लाख टन प्रति वर्ष होगी। यह एकीकृत संयन्त्र होगा और हाईस्मेल्त प्रौद्योगिकी (HiSmelt technology) पर आधारित होगा। नगरनार, जगदलपुर से १६ किमी की दूरी पर स्थित है। इस संयन्त्र की स्थापना का खर्च लगभग २० हजार करोड़ आएगी।

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नगरनार इस्पात संयंत्र को सरकार ने एनएमडीसी से किया अलग

यहां ये बताना जरुरी है कि पिछले अक्टूबर माह में सरकार ने निर्माणाधीन नगरनार इस्पात संयंत्र (एनएसपी) को एनएमडीसी से अलग करने और इसके रणनीतिक विनिवेश की मंजूरी दे दी है। इसके तहत सरकार एनएसपी में अपनी समूची हिस्सेदारी रणनीतिक खरीदार को बेचेगी। इस्पात मंत्रालय के तहत आने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनएमडीसी छत्तीसगढ़ के नगरनार में इस्पात कारखाने का निर्माण कर रही है।