भुवनेश्वर। बालासोर रेल हादसे (RAIL HADSA) के मृतकों के शवों के फर्जी दावों को टालने के लिए ओडिशा सरकार ने शवों और दावेदारों के डीएनए नमूने लेना शुरू कर दिया है। बिहार के भागलपुर के दो अलग-अलग परिवारों की ओर से एक शव अपने रिश्तेदार का होने का दावा करने के बाद यह फैसला किया गया। शव क्षत-विक्षत अवस्था में होने के कारण उसकी पहचान मुश्किल थी।
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एक अधिकारी ने बताया, डीएनए का मिलान होने पर ही हम शव सौंपेंगे। डीएनए रिपोर्ट आने में सात-आठ दिन लगेंगे। हमें संदेह है कि रेलवे और राज्य सरकारों से मिलने वाले मुआवजे के कारण कुछ लोग शवों पर झूठे दावे कर सकते हैं। हादसे में अब तक 275 लोगों की मौत हुई है। इनमें से 83 शवों की पहचान नहीं हो पाई है। अधिकारी ने बताया कि कुछ शवों पर कई पक्ष दावे कर रहे हैं।
अब तक दावा कर रहे परिवारों से 10 डीएनए सैंपल (RAIL HADSA) लिए गए हैं। झारखंड के एक युवक ने आरोप लगाया कि सोमवार को उसने उपेंद्र कुमार शर्मा के शव की पहचान की थी। इसके बावजूद मंगलवार को शव किसी और को सौंप दिया। भुवनेश्वर नगर निगम के कमिश्नर विजय अमृत कुलांगे ने बताया कि सोमवार रात से डीएनए टेस्टिंग शुरू की जा चुकी है। उन शवों की टेस्टिंग पहले की जा रही है, जिनका क्रॉस आइडेंटिफिकेशन हो रहा है। ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां एक शव के एक से ज्यादा दावेदार हैं। अब तक 205 शवों को पहचान के बाद उनके परिजनों को सौंपा जा चुका है। ओडिशा के मुख्य सचिव प्रदीप जेना ने मंगलवार को बताया कि मृतकों की संख्या 288 हो गई है। रेलवे ने हादसे के दूसरे दिन यही संख्या बताई थी, लेकिन जेना ने कहा था कि मृतक संख्या 275 है।
ज्यादातर मृतक इन पांच राज्यों के
ज्यादातर मृतक पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश और ओडिशा के रहने वाले थे। शव खराब न हों, इसलिए इन्हें पांच अलग-अलग कंटेनर में रखा गया है। अधिकारियों का कहना है कि शव छह महीने तक सुरक्षित रहेंगे।
सीबीआई जांच शुरू, अफसरों से पूछताछ
सीबीआई की 10 सदस्यीय टीम (RAIL HADSA) ने मंगलवार को पटरियों और सिग्नल रूम का निरीक्षण किया। बाहानगा स्टेशन के अधिकारियों से पूछताछ की गई। सीबीआई हादसे की आपराधिक एंगल से जांच कर रही है। रेलवे ने हादसे के पीछे तोड़फोड़ या बाहरी हस्तक्षेप की आशंका जताई है।