लखनऊ। पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (PFI) के सदस्य उत्तर प्रदेश को फिर से दहलाने की साजिश में जुटे हैं। आतंक निरोधी दस्ते (एटीएस) की रविवार को 20 जिलों में गई छापेमारी के बाद बरामद कई दस्तावेजों में इसके प्रमाण मिले हैं। एटीएस ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) को भी जांच में शामिल कर लिया है।
उत्तर प्रदेश में पीएफआइ (PFI) की तरफ से फिर से दंगा भड़ाकाने की साजिश की सूचना भी एनआइए ने ही एटीएस को दी थी। पीएफआइ को प्रतिबंधित करने के बाद एटीएस तथा एनआइए ने कई बार इसके सदस्यों की गिरफ्तारी करके संगठन को कमजोर किया, लेकिन नए सिरे कोई बड़ा कांड कराने का षड्यंत्र रचा जा रहा है।
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एनआइए ने 26 अप्रैल को आतंकी गतिविधियों में शामिल लोगों की गिरफ्तारी को लेकर उत्तर प्रदेश व पंजाब सहित चार राज्यों में छापेमारी की थी। उत्तर प्रदेश के रामपुर के काशीपुर गांव में पीएफआइ के सक्रिय सदस्य की गिरफ्तारी को लेकर छापेमारी के बाद एनआइए के हाथ कई अहम सुराग लगे थे, जिसकी सूचना एटीएस की दी गई थी। इसके बाद एटीएस ने पूर्व में गिरफ्तार पीएफआइ के सदस्यों से दोबारा पूछताछ की तो 213 लोगों के नाम सामने आए। इसके बाद एटीएस ने रविवार को 20 जिलों में छापेमारी करके 70 लोगों को हिरासत में लिया। वाराणसी से 50-50 हजार रुपये के ईनामी परवेज अहमद व रईस अहमद को गिरफ्तार भी किया।
वाराणसी में 100 से ज्यादा सदस्य, 23 सक्रिय
गिरफ्तार आरोपितों ने अभी तक की पूछताछ में बताया है कि वाराणसी में संगठन के 100 से ज्यादा सदस्य हैं। इनमें 23 सक्रिय हैं। इनकी गिरफ्तारी के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं।
हाथरस व कानपुर जैसे दंगों में निभाई थी प्रमुख भूमिका
प्रतिबंधित संगठन पीएफआइ (PFI) उत्तर प्रदेश में आठ वर्ष से सक्रिय है। हाथरस कांड की जांच के बाद पुलिस को पीएफआइ द्वारा दंगा भड़काने के सुबूत मिले थे। एसटीएफ ने तीन मार्च को पीएफआइ के सक्रिय सदस्य केरल निवासी कमाल केपी को गिरफ्तार किया था। इसी प्रकार कानपुर के बेकमगंज इलाके में पिछले साल जून में दंगा भड़काने के मामले में पीएफआइ के सदस्यों की भूमिका सामने आई थी। जफर हाशिमी के साथ इनके सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था।