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गोली बारूद के बीच “ग़ुलाब” की खेती…हर रोज़ हो रही 10 हज़ार की कमाई…

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कांकेर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों में शुमार कांकेर में गुलाब की हाईटेक खेती हो रही है। जहाँ कभी आए दिन माओवादी गोली बारूद का इस्तेमाल कर जनता के विकास कार्यों को बाधित करने हुआ करते थे, उसी शहर में आज किसान नीदरलैंड के डच वैरायटी के गुलाब का उत्पादन कर रहे हैं।

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ऐसे ही एक कृषक गिरजा निषाद हैं, जिन्होंने अपनी पुश्तैनी खेती में बदलाव लाकर गुलाब की खेती शुरूआत की और अब सालाना लाखों रूपये की कमाई कर रहे हैं। उनके खेतों के डच गुलाब की खुशबू और रंगत अब रायपुर ही नहीं बल्कि अन्य शहरों में बिखर रही है। इससे उनकी जिन्दगी भी महक उठी है।

राजधानी रायपुर के साथ ही राज्य के अन्य बड़े शहरों में सजावट के लिए गुलाब सहित अन्य फूलों की बड़ी मांग है। इसको देखते हुए राज्य सरकार द्वारा किसानों को फूलों की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन में फूलों की उन्नत खेती के लिए पॉलीहाउस निर्माण सहित अन्य आदानों के अलावा उद्यान विभाग द्वारा तकनीकी मार्गदर्शन भी उपलब्ध कराया जाता है। किसानों को पॉलीहाउस निर्माण के लिए बैंकों के माध्यम से ऋण अनुदान की भी व्यवस्था की जाती है।

हर रोज़ हो रही 10 हज़ार तक कमाई

कांकेर जिले के ग्राम चौगेल के गिरजा निषाद को अपने एक एकड़ में फूलों की खेती प्रतिदिन 9 से 10 हजार रूपए की आमदनी हो रही है। उन्होंने अपने खेत में बनाए गए पॉलीहाउस में नीदरलैंड की डच वैरायटी के गुलाब के पौधे लगाए हैं। सिर्फ एक एकड़ खेत में ही प्रतिदिन 45 से 50 किलो गुलाब के फूल का उत्पादन उन्हें मिल रहा है। जिसे 200 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से रायपुर में पैकेजिंग कर बिक्री के लिए भेजा जाता है।

एक बार की मेहनत से तीन साल की कमाई

गिरजा ने बताया कि पॉलीहाऊस में फूलों की तोड़ाई एवं देखभाल के लिए चार मजदूर रखा गया है। उन्होंने बताया कि अन्य फसलों में तीन से चार माह की कड़ी मेहनत के बाद एक बार ही उत्पादन मिलता है, लेकिन गुलाब की खेती में रोपण के दो से तीन महीने के बाद से उत्पादन शुरू हो जाता है, जो लगातार तीन सालों तक चलता रहता है। तीन वर्ष बाद गुलाब के डंठल का फिर से रोपण कर समय-समय पर देखरेख और कांट-छांट किया जाता है।

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इस ज़मीन पर अनाज की खेती नहीं थी संभव

कृषि विभाग के अधिकारी ने बताया कि किसान गिरजा निषाद को गुलाब की खेती और पॉलीहाउस निर्माण के लिए राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड से 50 प्रतिशत अनुदान पर 31 लाख रुपए की सब्सिडी दी गई है। गुलाब की खेती के लिए मिट्टी छिद्रपूर्ण और जल निकासी अच्छी होनी चाहिए। गिरजा के खेत में पथरीली मरहान भूमि होने से अनाज की फसल लेना संभव नहीं था। इस भूमि में गुलाब ने सफल परिणाम दिए हैं।