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कोंडागांव में तैयार हो रहा सूबे का पहला एथेनॉल प्लांट, 140 करोड़ है लागत

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कोंडागांव। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप कोण्डागांव जिले के कोकोड़ी में मक्का प्रसंस्करण पर आधारित राज्य का पहला एथेनाल प्लांट अब मूर्त रूप ले रहा है। मक्का प्रसंस्करण प्लांट जून 2023 तक पूर्ण किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

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मक्का प्रसंस्करण प्लांट जिले के मक्का उत्पादक किसानों की आर्थिक समृद्धि का द्वार खोलेगा। इससे करीब 45 हजार से ज्यादा किसान सीधे लाभान्वित होंगे। इसके साथ ही समीपस्थ अन्य जिले के मक्का उत्पादक किसानों के मक्का का प्रसंस्करण किया जाएगा। साथ ही मक्का प्रसंस्करण प्लांट में क्षेत्र के लगभग 200 से ज्यादा लोगों को सीधे रोजगार मिलेगा। छत्तीसगढ़ सरकार की उद्योग नीति में कृषि और वनोपज आधारित उद्योगों की स्थापना को विशेष प्राथमिकता श्रेणी में रखा गया है।

कोण्डागांव जिले में 140 करोड़ रूपए लागत से बन रहा मक्का प्रोसेसिंग प्लांट किसानों का जीवन संवारेगा। राज्य सरकार के सहयोग से सहकारिता के क्षेत्र में यह पहला प्लांट स्थापित किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य में कोण्डागांव जिले में मक्का का सर्वाधिक उत्पादन होता है। इस प्लांट की स्थापना से किसानों को मक्का का अधिकतम मूल्य मिलने की उम्मीद है। प्रोसेसिंग प्लांट के निर्माण का लगभग 35 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। यह प्लांट कोण्डागांव में ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगा।

ग्राम कोकोड़ी में तैयार हो रहे मक्का प्रोसेसिंग प्लांट का संचालन माँ दंतेश्वरी मक्का प्रसंस्करण एवं विपणन सहकारी समिति द्वारा किया जाएगा। यह प्लांट ग्राम कोकोड़ी में 14 एकड़ शासकीय भूमि पर बन रहा है। इस प्लांट में मक्के की आपूर्ति के लिए लगभग 45 हजार किसानों का पंजीयन किया गया है। प्लांट में प्रतिदिन 200 मीट्रिक टन मक्का की प्रोसेसिंग होगी, जिससे 80 हजार लीटर एथेनॉल तैयार होगा। इस प्लांट के लग जाने से निजी निवेशकों द्वारा अन्य सहायक उद्योग लगाने के लिए नया वातावरण बनेगा।

कोण्डागांव जिले के ग्राम कोकोड़ी में बनाए जा रहे मक्का प्रोसेसिंग प्लांट में कूलिंग टॉवर और बॉसिंग वॉल सहित अन्य कार्य पूर्ण कर लिए गए हैं। स्टील बाईंडिंग वर्क का काम प्रगति पर है। साथ ही फरमनटेशन कूलिंग टॉवर का कार्य भी पूर्ण हो चुका है। प्लांट के वेयर हाउस निर्माण का काम भी जारी है। बॉयलिंग सेक्शन का काम भी तेजी से किया जा रहा है। बॉलिंग सेक्शन का सिविल कार्य लगभग 60 से 70 प्रतिशत पूर्ण कर लिया गया है।

इसी प्रकार इएसपी सेक्शन के लिए भी सिविल सेक्शन पूर्ण हो चुका है और टरबाईन का 80 प्रतिशत काम भी पूर्ण हो चुका है। इस प्लांट में फरमनटेशन टैंक का निर्माण का कार्य चल रहा है। मक्का प्रोसेसिंग प्लांट के लिए पर्यावरण विभाग और भू जल उपयोग के लिए स्वीकृति प्राप्त हुई है। पीईएसओ तथा आईईएम से अनुमोदन प्राप्त हुआ है।

कोण्डागांव जिले में 3.48 लाख मीट्रिक टन उत्पादन

कोण्डागांव जिले में बीते तीन-चार सालों में खरीफ और रबी दोनों सीजन में मक्का उत्पादन को काफी बढ़ावा मिला है। प्लांट की स्थापना से उत्साहित किसान मक्का का रकबा साल दर साल बढ़ा रहे है। वर्तमान में कोण्डागांव जिले में प्रति वर्ष 3 लाख 48 हजार 127 मेट्रिक टन मक्का का उत्पादन होता है।

किसानों की अंश पूंजी 7.06 करोड़ रूपए

स्टेट प्रोजेक्ट फाईनेंस कमेटी द्वारा मक्का से एथेनॉल निर्माण के लिए प्रोसेसिंग प्लांट को फिजीबल पाया गया था। लगभग 140 करोड़ की लागत से बन रहे इस प्लांट के निर्माण में किसानों ने 7.06 करोड़ रूपए की अंश पूंजी का योगदान दिया है। इसी प्रकार मंडी बोर्ड द्वारा 21.19 करोड़ रूपए और राज्य शासन द्वारा 35.32 करोड़ रूपए तथा सहकारी संस्था के स्वयं की निधि से 2.10 करोड़ रूपए दिए हैं। शेष 75 करोड़ रूपए बैंक ऋण के माध्यम से जुटाएं गए हैं।

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मक्का उत्पादक किसानों को प्रोत्साहन

कोण्डागांव जिले में समर्थन मूल्य पर मक्का उपार्जन के लिए 47 खरीदी केन्द्र बनाए गए हैं। जिले के कोण्डागांव माकड़ी, फरसगांव, बड़ेराजपुर विकासखण्ड में मक्के का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। मक्का खरीदी का कार्य छत्तीसगढ़ नागरिक आपूर्ति निगम के द्वारा किया जा रहा है। मक्का उत्पादक किसानों को राज्य सरकार द्वारा राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत 9 हजार रूपए प्रति एकड़ के मान से इनपुट सब्सिडी भी दी जा रही है।

मक्का उत्पादन से जुड़े हैं 65 हजार किसान

कोण्डागांव जिले में खरीफ सीजन में एक लाख 24 हजार 188 तथा रबी सीजन में 2 लाख 23 हजार 929 टन मक्का का उत्पादन होता है। मक्का उत्पादन से जिले के लगभग 65 हजार किसान जुड़े हुए हैं।

विदेशी मुद्रा की होगी बचत

प्लांट में उत्पादित होने वाला एथेनॉल इंडियन ऑयल कार्पोरेशन को विक्रय किया जाएगा। जिसे पेट्रोल के साथ मिक्स कर बेचा जाएगा। इससे विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी साथ ही किसानों को मक्का का वाजिब दाम भी मिलेगा।