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न्यायिक हिरासत में भेजे गये ओरेवा ग्रुप के MD जयसुख पटेल, कोर्ट में किया था सरेंडर

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दिल्ली। गुजरात के मोरबी पुल हादसे (MORBIPUL HADSA) के मामले में ओरेवा ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर जयसुख पटेल ने मोरबी के सीजेएम कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। जिसके बाद अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

इससे पहले गुजरात पुलिस ने इस मामले में 1252 पन्नों की चार्जशीट फाइल की। इस आरोपपत्र में पुलिस ने जयसुख पटेल को भगोड़ा बताया है। पुलिस के मुताबिक जांच के दौरान एमडी जयसुख पटेल नहीं मिले थे और आशंका थी कि वो भविष्य में भी सामने आने से बच सकते हैं। बता दें कि 2022 में 30 अक्टूबर को मोरबी जिले में मच्छू नदी पर बना सस्पेंशन पुल टूट गया था। जिसकी वजह से कई लोगों की मौत हो गई थी।

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ओरेवा ग्रुप के खिलाफ चार्जशीट

चार्जशीट के मुताबिक, ओरेवा कंपनी से अगले 15 साल यानी 2037 तक (MORBIPUL HADSA) के लिए पुल की मरम्मत, रखरखाव और ऑपरेशन का समझौता किया गया था। करार की शर्तों के अनुसार 8 से 12 महीने में पुल की मजबूती के अनुसार रिनोवेट करके जनता के लिए खोला जाना था, लेकिन 6 महीने के अंदर बिना किसी तकनीकी मदद के पुल के रिनोवेशन का ठेका दे दिया गया। चार्जशीट में कहा गया है, ओरेवा कंपनी ने अपने निजी लाभ के लिए पुल को पहले खोल दिया था, जिसकी वजह से यह हादसा हुआ. साथ ही हादसे के बाद यह भी सामने आया कि उन्होंने बचाव कार्यों में भी सहयोग नहीं किया। हादसे के वक्त 400 से ज्यादा लोग पुल पर थे। इतनी बड़ी संख्या में लोगों के जाने से पहले पुल की स्ट्रेन्थ स्टेबिलिटी का जायजा भी नहीं लिया गया था।

बरती गई लापरवाही

यह पुल ब्रिटिश काल में बना था और नगर पालिका के समझौते (MORBIPUL HADSA) के तहत ओरेवा ग्रुप इस पुल का संचालन और रखरखाव कर रहा था। जानकारी के मुताबिक टेक्निकल लोगों की जगह फेब्रिकेशन वाले लोगों को काम दिया गया था। एफएसएल की रिपोर्ट के अनुसार 49 में से 22 तारों में जंग लग गई थी। लेकिन इस पर भी ध्यान नहीं दिया गया।