कवर्धा। ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज (KAWARDHA NEWS) ने पांचवीं की पुस्तक के ‘चमत्कार” पाठ के उस पृष्ठ को धर्मसभा में फाड़कर अपना विरोध जताया है, जिसमें भगवाधारी साधु को कपटी बताते हुए अपमान किया गया है।
उन्होंने चेतावनी दी है कि मनोरंजन अथवा अन्य किसी भी माध्यम से किए जाने वाले धार्मिक अपमान को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बता दें कि एससीईआरटी (KAWARDHA NEWS) ने लखनऊ के लेखक डा. जाकिर अली ‘रजनीश” की एकांकी ‘चमत्कार” को बिना उनकी अनुमति के 2010 में पांचवीं की पुस्तक में शामिल कर लिया है। डा. जाकिर के अनुसार मप्र की एक पत्रिका में 1997 में उनकी यह एकांकी प्रकाशित हुई थी।
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शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज कवर्धा के ग्राम जुनवानी में (KAWARDHA NEWS) आयोजित पंच कुंडीय रुद्र महायज्ञ एवं श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ में आशीर्वचन देने के लिए अपने दो दिवसीय प्रवास पर पहुंचे हुए हैं। इस धार्मिक आयोजन में उपस्थित श्रद्धालुओं का ध्यान उन्होंने पुस्तक में लिखी गई बातों की ओर खींचते हुए इसका कड़े स्वर में विरोध करने का आह्वान किया, साथ ही पुस्तक के उक्त पृष्ठ को फाड़ दिया।
बच्चों के सामने माता-पिता को मूर्ख सिद्ध कर रहे
शंकराचार्य महाराज ने कहा कि पुराना जमाना ही सही था, जब गुरु घर आकर बच्चों को अपने साथ ले जाते थे और कभी पलटकर नहीं कहते थे कि आपका बच्चा क्या कर रहा है और क्या नहीं। आज की शिक्षा की बात करें तो मां-बाप का इंटरव्यू होता है। इससे आकलन किया जाता है कि बच्चे के माता-पिता कितने समझदार हैं। माता-पिता को जो नहीं आता, वह बच्चों को स्कूल में सिखाया जाता है और कहा जाता है माता-पिता से पूछना। माता-पिता से जवाब नहीं मिलने पर बच्चा उन्हें मूर्ख समझने लगता है। पहले माता-पिता ही बच्चोंं के लिए उनके हीरो होते थे।