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प्रतिबंध होने के बाद भी किसान खेतों में जला रहे पराली

HomeCHHATTISGARHप्रतिबंध होने के बाद भी किसान खेतों में जला रहे पराली

जांजगीर। पर्यावरण दूषित न हो और खेतों में जैविक गुणवत्ता बनी रहे इसके लिए शासन (JANJGIR NEWS) ने पराली को खेतों में नहीं जलाने का निर्देश दिया है। स्थानीय प्रशासन को इसकी निगरानी करने और जलाने वालों पर कार्रवाई के लिए भी कहा है। बावजूद खेतों में धड़ल्ले से पराली के अवशेष जलाए जा रहे हैं। जिले में कहीं भी ग्रामीण क्षेत्र में चले जाओ पराली के अवशेष जलते आसानी से देखे जा सकते है। इसके बावजूद जिम्मेदार द्वारा आज तक एक भी कार्रवाई नहीं किया गया है।

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कलेक्टर ने भी किसानों से अपील करते हुए कहा कि पराली न जलाएं, बल्कि पैरा (JANJGIR NEWS)  का गोठान में दान करें। इसके बावजूद किसान है कि इस अपील को दरकिनार करते हुए धड़ल्ले से पराली के अवशेष जला रहे है। इसके चलते आसपास क्षेत्र के लोगों को काफी परेशानी भी होती है। शहर के नहर किनारे स्थित खेतों में पराली जला रहे है। वहीं धुएं के साथ पराली के जले अवशेष लोगों के घरों, बालकनियों में आ रहे हैं। जिसके चलते घरों के बर्तन, फर्श काले हो जा रहे हैं। वृक्ष भी पराली जलाने से झुलस रहे है।

पराली जलाने से हो रहा यह नुकसान

खरीफ के बाद अब रबी फसल की तैयारी शुरू हो चुकी है। किसान जल्दबाजी में पराली (JANJGIR NEWS) को खेत में ही जला रहे हैं। इससे पर्यावरण प्रदूषित तो हो ही रहा है, खेत की गुणवत्ता भी कम होती जा रही है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है केवल एक टन पराली जलाने से 5.5 किग्रा नाइट्रोजन, 2.03 किग्रा फासफोरस, 25 किग्रा पोटैशियम और 1.2 किग्रा सल्फर जैसे मिट्टी के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। पराली की आग की गरमी से मिट्टी में मौजूद कई उपयोगी बैक्टीरिया और कीट भी नष्ट हो जाते हैं। किसानों को इससे बचना चाहिए।