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रैगिंग के आरोप में मेडिकल कालेज के छह डाक्टर गिरफ्तार

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इंदौर। इंदौर के महात्मा गांधी मेमोरियल (MGM) मेडिकल कालेज के छह डाक्टरों को संयोगितागंज पुलिस ने गिरफ्तार किया है। चार डाक्टर गिरफ्तारी के डर से छुट्टी लेकर गायब हो गए। इन सभी पर जूनियर की रैगिंग और तरह-तरह से परेशान करने का आरोप है। आरोपित डाक्टरों ने पीड़ित छात्रों से समझौता कर लिया था। इधर, पुलिस ने वेश बदल कर कैंटीन और होस्टल से जानकारी जुटाई और सभी को नामजद आरोपी बनाया।

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संयोगितागंज टीआइ तहजीब काजी के मुताबिक, मेडिकल छात्रों ने यूजीसी को गुप्त शिकायत भेजी थी। पुलिस ने 24 जुलाई को अज्ञात आरोपितों पर छह धाराओं में आपराधिक प्रकरण (MGM) दर्ज कर लिया था। जूनियर छात्रों के कथन लिए तो रैगिंग से मुकर गए। पुलिस ने गोपनीय जानकारी जुटाई तो पता चला कि आरोपित वर्ष 2020-21 के सीनियर छात्र हैं। एफआइआर की भनक लगते ही उन्होंने पीड़ित छात्रों पर दबाव बना दिया। टीम ने सादे कपड़ों में कैंटीन और होस्टल के आसपास बैठक शुरू की। छात्रों से दोस्ती कर होस्टल में होने वाले क्रियाकलापों के बारे में पूछा तो बताया कि रैगिंग की घटना सही है। इसके बाद उन छात्रों को चिन्हित किया जिनके साथ घटना हुई थी। तीन छात्र तो मुकर गए, लेकिन दो ने पूरा घटनाक्रम बता दिया।

डाटा इकट्ठा कर सीनियरों को पकड़ा

इसके बाद पुलिस ने लालाराम नगर और गीता भवन क्षेत्र में किराए से फ्लैट में रहने वाले सीनियर छात्रों का डाटा एकत्र किया। गार्ड और रहवासियों से आने-जाने वालों के बारे में पूछताछ की। पुलिस ने सुबूत एकत्र कर शुभांकर पुत्र विकासचंद्र मिश्रा (पश्चिम बंगाल), प्रियम पुत्र प्रमोद त्रिपाठी (भोपाल), देववृत पुत्र राजेश गुप्ता (दतिया), राहुल पुत्र सत्यनारायण पटेल (छिंदवाड़ा), शैलेष पुत्र हरिचरण शर्मा (उज्जैन) और चेतन पुत्र राकेश वर्मा (उज्जैन) को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, जमानती जुर्म होने पर एसआइ सत्यजीतसिंह चौहान ने थाने से जमानत पर रिहा कर दिया। टीआइ के मुताबिक, चार आरोपित ऋषिराज, उज्जवल पांडे, रौनक पाटीदार और प्रभातसिंह अभी फरार हैं।

गूगल लोकेशन भेज निजी फ्लैट पर बुलाते थे आरोपी

छात्रों ने सीधे यूजीसी को शिकायत भेजी थी। ई-मेल कर (MGM) बताया कि आरोपित सीनियर छात्र उन्हें गूगल लोकेशन भेज कर फ्लैट पर बुलाते हैं। आपत्तिजनक सामग्री पर छात्राओं के नाम लिखवाते हैं। प्रतिदिन शेविंग करने का बोलते हैं। बात करते वक्त वे पलकें भी ऊपर नहीं उठा सकते। जूनियर छात्रों पर तकिये के साथ वक्त गुजारने का दबाव बनाया जाता है।

यूजीसी ने करवाई एफआइआर

यूजीसी ने मामले को गंभीरता से लिया और सीधे एफआइआर करवा दी। छात्रों के कथन लिए तो कुछ ने कहा रैगिंग के वक्त उनकी नजरें झुकी हुई थीं, इसलिए वे किसी का नाम नहीं बता सकते। पुलिस को आरोपितों तक पहुंचने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ी। टीआइ के मुताबिक, आरोपितों को जैसे ही नामजद करने की जानकारी मिली, पुलिस पर दबाव आना शुरू हो गया।