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मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की मांग, निजी क्षेत्र में भी लागु हो आरक्षण

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रायपुर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने प्रदेश के सदियों से शोषण और सामाजिक भेदभाव के शिकार आदिवासी एवं अनुसूचित जाति तबके के लोगों को आबादी के अनुसार आरक्षण को जारी रखने की मांग का समर्थन करते हुए निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू करने की मांग की है।

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पार्टी की दो दिवसीय राज्य समिति की बैठक के बाद जारी बयान में पार्टी ने कहा कि “आदिवासी एवं अनुसूचित जाति समुदाय के आरक्षण के प्रावधान की तुलना किसी अन्य से नहीं की जा सकती।”

पार्टी ने कहा कि आज के मौजूदा नव उदारवाद के दौर में जब बड़े पैमाने पर शिक्षा का निजीकरण हो रहा है, सरकारी भर्ती में पाबन्दिया हैं, सार्वजानिक क्षेत्र में भी निजीकरण से अवसर बंद किये जा रहे हैं, स्थायी काम के जगह ठेकाकरण और संविदाकरण हो रहा है। तब इन नीतियों को बदले बिना और निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू किये बिना इसका वंचित तबके को लाभ नहीं मिल सकता।

पार्टी ने कहा कि भाजपा का तो इस मामले में रुख किसी से छिपा नहीं है, वह तो मूल रूप से आरक्षण की ही विरोधी है, इसलिए लम्बे समय से निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग को वह केंद में सरकार में होते हुए भी अनसुना कर रही है। किन्तु प्रदेश की कांग्रेस सरकार यदि सच में आरक्षण पर गंभीर है, तो उसे निजी क्षेत्र में आरक्षण के प्रावधान का कानून बनाने की पहल करनी चाहिए।

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पार्टी ने अन्य पिछड़े वर्ग के आरक्षण में भी सही मायने में इस तबके के कमजोर और पिछड़ों को लाभ के लिए क्रीमी लेयर बनाये जाने तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के आरक्षण में सही मायने में कमजोर लोगों को लाभ दिलाने आय सीमा को घटाने की मांग की है। विदित हो कि केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के आरक्षण के लिए जो ८ लाख रूपये वार्षिक की आय निर्धारित की है। उससे सही मायने में जो कमजोर लोग हैं। उन्हें इसका लाभ ही नहीं मिल पायेगा।