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lokhi puja 2020 : जानें बंगाल में किस दिन की जाती है लक्ष्मी पूजा

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रायपुर। हिन्दू धर्म जहाँ अपनी पूजा नियमों और रीतिरिवाज के लिए जाना जाता है वहीँ इस धर्म में हर त्यौहार को अलग अलग संप्रदाय के लोग अलग अलग रीती रिवाज से भी मानते हैं. आज शुक्रवार को शरद पूर्णिमा है। यह अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को आती है। बंगाल में शरद पूर्णिमा के दिन लोखी पूजा (lokhi puja) के रूप में मनाने की परम्परा है। इस दिन बंगाली समाज में दिवाली पूजा की तरह लोखी पूजा(lokhi puja) की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन लोखी पूजा (lokhi puja) करने से घर पर धन्य सम्पदा पर्याप्त रहता है और लोखी पूजा करने वाले के घर कभी दरिद्रता नहीं आती। इसे बंगाली समाज के लोग कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं .

 

गौरतलब है कि इस दिन रखे जाने वाले व्रत को कौमुदी व्रत या कोजागरी पूर्णिमा व्रत भी कहते हैं। इस दिन खीर का महत्व इसलिए भी है कि यह दूध से बनी होती है और दूध को चंद्रमा का प्रतीक माना गया है। चंद्रमा मन का प्रतिनिधित्व करता है, आश्विन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को कोजागरा पर्व लक्ष्मी पूजन के नाम से मनाया जाता है. इसको शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन प्रदोषकाल में लक्ष्मीजी का पूजन किया जाता है. इस दिन घर की पूरी तरह साफ-सफाई कर पूजन किया जाना चाहिए. सायंकाल में घर के द्वार पर हव्यवाहन, पूणेन्दु, सभार्यरूद्र, स्कन्द, नंदीश्वरमुनि, सुरभि, निकुंभ, लक्ष्मी, कुबेर, इंद्र का पूजन किया जाता है.

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लोखी पूजा के लिये सामग्री

मां लक्ष्मी की पूजा के लिये सामग्री अपने सामर्थ्य के अनुसार जुटा सकते हैं. मां लक्ष्मी को जो वस्तुएं प्रिय हैं उनमें लाल, गुलाबी या फिर पीले रंग का रेशमी वस्त्र लिया जा सकता है. वहीं, कमल और गुलाब के फूल भी मां को बहुत प्रिय हैं. फल के रुप में श्री फल, सीताफल, बेर, अनार और सिंघाड़े भी मां को पसंद हैं. मां लक्ष्मी पूजा में अनाज में चावल घर में बनी शुद्ध मिठाई, हलवा, शिरा का नैवेद्य उपयुक्त है.

 

 

पूजा के समय दिया जलाने के लिये गाय का घी, मूंगफली या तिल्ली का तेल इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा पूजन में रोली, कुमकुम, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, चौकी, कलश, मां लक्ष्मी व भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमा या चित्र, आसन, थाली, चांदी का सिक्का, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, दीपक, रुई, मौली, नारियल, शहद, दही गंगाजल, गुड़, धनियां, जौ, गेंहू, दुर्वा, चंदन, सिंदूर, सुगंध के लिये केवड़ा, गुलाब अथवा चंदन के इत्र ले सकते हैं.

कोजागिरी पूजन विधि…
आज कोजगरा लक्ष्मी पूजन की जाती है. सायंकाल में लक्ष्मी पूजन का सर्वोत्तम समय है. पूजन में गंगाजल, तिल, जौ, अक्षत, चंदन, रक्तचंदन, रौली, मौली, बिल्वपत्र, खीर आदि से पूजन करने से भक्तों पर लक्ष्मीजी की कृपा बनी रहती है.

चांद की रोशनी में खीर रखने का है विशेष महत्व

आज का दिन बेहद खास है. आज की रात चंद्रमा की किरणें अमृत छोड़ती है. इसलिए आज चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने का खास महत्व है. शरद (sharad) पूर्णिमा की खीर को चांदी के बर्तन में रखना ज्यादा उत्तम रहता है. चांदी का बर्तन न होने पर किसी भी पात्र में उसे रख सकते हैं.

 

ऐसे करें मां लक्ष्मी की पूजा

शरद(sharad) पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद एक साफ चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें. इसके बाद अब लक्ष्मी जी विधि-विधान से पूजा करके लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन इस स्तोत्र का पाठ करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.

क्यों किया जाता है शरद पूर्णिमा व्रत
मान्यता के अनुसार एक साहूकार की दो बेटियां थीं. दोनों पूर्णिमा का व्रत रखती थीं. साहूकार की एक बार बड़ी बेटी ने पूर्णिमा का विधिवत व्रत किया, लेकिन छोटी बेटी ने व्रत छोड़ दिया, जिससे छोटी लड़की के बच्चों की जन्म लेते ही मृत्यु हो जाती थी. एक बार साहूकार की बड़ी बेटी के पुण्य स्पर्श से छोटी लड़की का बालक जीवित हो गया. कहा जाता है कि उसी दिन से यह व्रत विधिपूर्वक मनाया जाने लगा.