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जबरन धर्म परिवर्तन पर 10 साल की जेल, कैबिनेट बैठक में लिया गया फैसला

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देहरादून। उत्तराखंड कैबिनेट बैठक में धर्म परिवर्तन कानून (DHARM PARIVARTAN KANOON) में सख्त बदलाव किए गए हैं। जबरन धर्म परिवर्तन को गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में रखा गया है।

इसके तहत अपराधी को 10 साल की जेल की जाएगी। जबरन धर्म परिवर्तन और लव-जिहाद को राज्य में बैन किया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कुल 26 रिजॉल्यूशन पास किए गए। यह भी तय किया गया कि उत्तराखंड हाईकोर्ट नैनीताल से हल्द्वानी शिफ्ट किया जाएगा।

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सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिया

मुख्यमंत्री धामी (DHARM PARIVARTAN KANOON) ने पिछले साल कहा था कि उन्होंने उत्तराखंड पुलिस को जबरन धर्म परिवर्तन और लव-जिहाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिया है। तब उन्होंने यह भी कहा था कि राज्य सरकार जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून को और सख्त बनाएगी। अप्रैल, 2018 में उत्तराखंड सरकार ने उत्तराखंड फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट, 2018 पास किया था। इसके तहत जबरन या धोखे से धर्म परिवर्तन कराने के मामलों को गैर-जमानती अपराध माना गया है और इसमें 5 साल तक की जेल हो सकती है।

धर्म परिवर्तन को गंभीर मामला बताया था

14 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने डरा-धमकाकर या लालच देकर धर्म परिवर्तन (DHARM PARIVARTAN KANOON) को गंभीर मामला बताया था। सोमवार को एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जबरन धर्मांतरण न सिर्फ धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ बल्कि देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा हो सकता है। केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि धर्म परिवर्तन के ऐसे मामले आदिवासी इलाकों में ज्यादा देखे जाते हैं। इस पर कोर्ट ने उनसे पूछा कि अगर ऐसा है तो सरकार क्या कर रही है। इसके बाद कोर्ट ने केंद्र से कहा कि इस मामले में क्या कदम उठाए जाने हैं, उन्हें साफ करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि संविधान के तहत धर्मांतरण कानूनी है, लेकिन जबरन धर्मांतरण कानूनी नहीं है।