रायपुर/ एंकर
– सभी श्रोताओं को नमस्कार, जय जोहार।
– लोकवाणी की दसवीं कड़ी के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी आकाशवाणी के रायपुर स्टूडियो पधार चुके हैं।
– माननीय मुख्यमंत्री जी, आपका बहुत-बहुत स्वागत है।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब-
– सुवागत बर धन्यवाद।
जम्मो सुनइया, दाई-दीदी, सियान-जवान अउ लइका मन ला जय जोहार, नमस्कार।
– मोला अब्बड़ खुसी लागथे के देखत-देखत लोकवाणी के दसवीं कड़ी आ गे हे। आप मन बड़ जतन ले ये काम करत हव।
– सुनइया मन के प्यार अउ दुलार के कारन ही हमर ये संवाद हा बने सफल होथे। आप मन सुरता करके सुनथौ, अउ अपन प्रतिक्रिया घलौ भेजथौ। तेकर बर साधुवाद।
– प्रश्न पुछइया अउ सुझाव देवइया मन ल घलो साधुवाद। काबर के आप मन के बिना तो ये कार्यक्रम हो ही नहीं सकय।
एंकर
– माननीय मुख्यमंत्री जी, आज का विषय है- ‘समावेशी विकास-आपकी आस’। आपसे निवेदन है कि सबसे पहले समावेशी विकास के बारे में अपनी अवधारणा/अपने विचारों पर प्रकाश डालने की कृपा करें।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब-
– समावेश का सरल अर्थ होता है- समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलना, सभी की भागीदारी, सबके विकास की व्यवस्था।
– ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ के वेदवाक्य में भी यही भावना है, जो हमारी सांस्कृतिक विरासत है।
– सवाल उठता है कि प्रचलित व्यवस्था में किसका समावेश नहीं है? कौन छूटा है? तो सीधा जवाब है कि जिसे संसाधनों पर अधिकार नहीं मिला, जिसके पास गरिमापूर्ण आजीविका का साधन नहीं है, विकास के अवसर नहीं हैं या जो गरीब है। वही वर्ग तो छूटा है।
– हमारी प्रचलित अर्थव्यवस्था में किसान, ग्रामीण, अनुसूचित जाति- अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, महिलाओं की भागीदारी बहुत कम रही है। ऐसा नहीं है कि प्रयास शुरू ही नहीं हुए बल्कि यह कहना उचित होगा कि वह मुहिम कहीं भटक गई, कहीं जाकर ठहर गई।
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– थोड़ा पीछे जाकर देखें तो महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, सरदार पटेल, डॉ. अम्बेडकर, शास्त्री, आजाद, मौलाना जैसे हमारे नेता जिस न्याय की बात करते थे, उसी साझी विरासत से हमें छत्तीसगढ़ी मॉडल मिला है।
– नेहरू जी ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में पंचवर्षीय योजनाओं का सिलसिला शुरू किया था। उसी की बदौलत भारत की बुनियाद हर क्षेत्र में, विशेष तौर पर आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में मजबूत हुई थी।
– इस 11वीं पंचवर्षीय योजना काल (2007 से 2012) में भारत की अर्थव्यवस्था में ‘समावेशी विकास’ की अवधारणा को काफी मजबूती के साथ रखा गया था। याद कीजिए कि उस समय यूपीए की सरकार थी और प्रधानमंत्री थे श्री मनमोहन सिंह अर्थात देश की बागडोर कुशल अर्थशास्त्री के हाथों में थी।
– लक्ष्य था कि देश की जीडीपी अर्थात सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर को 8 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत तक लाना है।
– यह भी तय हुआ था कि विकास दर को लगातार 10 प्रतिशत तक बनाए रखना है ताकि वर्ष 2016-17 तक प्रति व्यक्ति आय को दोगुना किया जा सके।
– 12वीं पंचवर्षीय योजना काल 2012 से 2017 के लिए भी जीडीपी को 9 से 10 प्रतिशत के बीच टिकाए रखने का लक्ष्य रखा गया था।
– आज भारत की विकास दर 3 प्रतिशत के आसपास है। वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में देश की विकास दर में लगभग 24 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जो दुनिया में सर्वाधिक गिरावट है।
– कोरोना की समस्या तो पूरी दुनिया में है। अमेरिका के सर्वाधिक कोरोना प्रभावित होने के बावजूद वहां की जीडीपी मात्र 10 प्रतिशत गिरी है। जबकि भारत की जीडीपी दुनिया में सर्वाधिक 24 प्रतिशत गिरी है। इस हालात को समझना होगा।
– लेकिन मेरा दृढ़ विश्वास है कि देश और प्रदेश की आर्थिक- सामाजिक समस्याओं का समाधान, समावेशी विकास से ही संभव है। हम अपने राज्य में समावेशी विकास की अलख जगा रहे हैं और इस दिशा में आगे बढ़ेंगे।
– मार्च 2020 की स्थिति में केवल एम्स रायपुर में ही कोविड टेस्टिंग की सुविधा थी। जिसे बढ़ाना एक बड़ी चुनौती थी। आज की स्थिति में राज्य के सभी 6 शासकीय मेडिकल कॉलेज, 4 निजी लैब में आरटीपीसीआर टेस्ट, 30 लैब में ट्रू-नाट टेस्ट तथा 28 जिला अस्पतालों सहित सभी सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में रैपिड एंटीजन किट से टेस्ट की व्यवस्था कर दी गई है।
– मार्च 2020 में प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार की सुविधा केवल एम्स रायपुर में थी, लेकिन राज्य शासन ने सुनियोजित कार्ययोजना से अब तक 29 शासकीय, 29 डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल, 186 कोविड केयर संेटर की स्थापना कर दी है। 19 निजी अस्पतालों को भी उपचार हेतु मान्यता दी गई है।
– मार्च 2020 की स्थिति में 54 आईसीयू बिस्तर तथा 446 जनरल बेड उपलब्ध थे, जिसमें बढ़ोतरी करते हुये अब 776 आईसीयू बेडस् तथा 28 हजार 335 जनरल बेड उपलब्ध करा दिए गए हैं, जो कि एक बड़ी उपलब्धि है।
– राज्य के सरकारी अस्पतालों में आपातकालीन सुविधा हेतु 148 वेन्टिलेटर थे। जो अब बढ़कर 331 हो गए हैं।
– भाइयों और बहनों, संक्रमण की रोकथाम और उपचार के लिए हम हर संभव उपाय कर रहे हैं। बीमारी के बारे में होने वाली चर्चाओं से कई बार धीरज छूटता है। लेकिन इस वक्त सबसे बड़ी जरूरत है कि सब लोग मिलकर हिम्मत का परिचय दें। सावधानी और साहस से यह दौर भी निकल जाएगा।
– अभी जो नया ट्रंेड है, उसके अनुसार राज्य में ज्यादातर व्यक्ति एसिम्टोमेटिक श्रेणी के आ रहे हैं। इसको लेकर भी भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन फेस मास्क और फेस शील्ड के महत्व को समझें। हाथ साफ करने के लिए साबुन-पानी, सेनेटाइजर का उपयोग करें। भीड़ से बचें।
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– एसिम्टोमेटिक मरीजों के होम आइसोलेशन की सुविधा भी नियमानुसार उपलब्ध है। लगातार समीक्षा और सुधार से स्थितियों को बेहतर किया जा रहा है।
– टेलीमेडिसिन परामर्श केन्द्र के माध्यम से पूर्ण जानकारी, उपचार हेतु मार्गदर्शन व दवाईयॉ उपलब्ध कराने की सुविधा भी दी है।
– फिर एक बार कहता हूं कि संकट अभी टला नहीं है। सावधानी जरूरी है।
एंकर
– माननीय मुख्यमंत्री जी धन्यवाद। आपने समावेशी विकास की अवधारणा को काफी अच्छे ढंग से समझाया है। कृपया यह बताने का कष्ट करें कि समावेशी विकास की अवधारणा को छत्तीसगढ़ में किस प्रकार से लागू किया जा रहा है ?
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब-
– समाज के जो लोग चाहे वे छोटे किसान हों, गांव में छोटा-मोटा काम-धंधा करने वाले लोग हों, खेतिहर मजदूर हों, वनोपज पर आश्रित रहने वाले वन निवासी तथा परंपरागत निवासी हों, चाहे कमजोर आर्थिक स्थिति वाले परिवार की महिलाएं हों, ग्रामीण अंचलों में परंपरागत रूप से काम करने वाले बुनकर हों, शिल्पकार हों, लोहार हों, चर्मकार हों, वनोपज के जानकार हों। मेरा मानना है कि सभी के पास कोई न कोई हुनर है, जो उन्हें परंपरागत रूप से मिलता है। समय की मार ने उनकी चमक, उनकी धार को कमजोर कर दिया है। उनके कौशल को बढ़ाया जाए, उनके उत्पादों को अच्छा दाम मिले, अच्छा बाजार मिले तो वे बड़ा योगदान कर सकते हैं। ऐसे सभी लोगों की आजीविका और बेहतर आमदनी की व्यवस्था करना ही समावेशी विकास का मूलमंत्र है।
– हमें यह समझना होगा कि हर परिवार के पास आजीविका का साधन हो। मुख्यतः अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को राज्य के संसाधन और उनकी आय के साधन सौंपकर हम आर्थिक विकास के लाभों के समान वितरण का लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। दिसम्बर 2018 से छत्तीसगढ़ में हमने जिस तरह की नीति-रीति अपनाई है, उसे देखकर समावेशी विकास को समझा जा सकता है।
एंकर
– हमें यह कहते हुए खुशी और गौरव की अनुभूति होती है कि छत्तीसगढ़ में माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में समावेशी विकास को जमीनी हकीकत बनाया है और उसका असर दिखने लगा है। आइए सुनते हैं, कुछ श्रोताओं के विचार और लेते हैं कुछ सवाल।
1. मनीष साहू, कुरुद-
सर मैं छत्तीसगढ़ में समावेशी विकास के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद और बधाई देना चाहता हूँ। बधाई देना चाहता हूँ कि उन्होंने आर्थिक रूप से यहाँ के लोगों की समृद्धि के लिए भी काम किया है। चाहे वह राजीव न्याय योजना किसानों के लिए हो या पशुपालकों के लिए गौधन न्याय योजना और साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में जो सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल खोल रहे हैं, उससे निश्चित तौर पर एक अच्छा प्रयास किया जा रहा है ताकि जो भेदभाव है, अमीर और गरीब लोगों में वह दूर होगा। साथ ही मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से यह कहना चाह रहा हूँ कि पूरे जितने भी ब्लॉक हैं, वहाँ पर सरकार की तरफ से सार्वजनिक उपक्रम के उद्योग-धंधे खुलवाएं, मेरा उनसे निवेदन है। ताकि ज्यादा से ज्यादा यहाँ के लोगों को रोजगार मिल सके और हम सभी लोग एक प्रकार से विकास कर सकें। यह मेरा निवेदन है।
2. लखमूराम भास्कर, ग्राम पंचायत चंदेनार –
मैं आपको बताना चाहता हूँ सर, हमारे दन्तेवाड़ा में रोजगार केन्द्र ‘आमचो गांव-आमचो रोजगार’ की शुरुआत हुई है। सर, हमें जिला पंचायत की तरफ से एक सहायता मिली है, अलग-अलग रोजगार जैसे किराना, सायकल स्टोर और फोटोकॉपी दुकान, मतलब दुकान खोलने का अवसर मिला है हमें। मैं अपने गांव में किराने की दुकान खोला हूँ।
3. सूरज कश्यप, दंतेवाड़ा-
मैं 10वीं का छात्र हूं, पिताजी शिक्षक और माताजी स्वसहायता समूह में कार्यरत हैं। कोरोना काल में पढ़ाई जारी रखने के लिए शासन की ‘पढ़ाई तुंहर दुआर’ और जिला प्रशासन द्वारा ‘नयी पहल ‘ज्ञान गंगा’ में ऑफलाइन सर्वर पंचायतों में लगाया गया है। इसमें मोबाइल डेटा के द्वारा अध्ययन सामग्री लोड कर लेता हूं। इसके माध्यम से मेरे पिता को जैविक खेती और माता को स्वसहायता समूह के बारे में जानकारी मिल जाती है। इसके लिए आपको और जिला प्रशासन को बहुत-बहुत धन्यवाद। माता-पिता पढ़ाई के लिए ही मोबाइल देते हैं कार्टून देखने के लिए नहीं देते। आपसे निवेदन है कि मेरे माता-पिता को कहें कि कार्टून देखने के लिए भी मोबाइल दिया करें। आप कहेंगे तो वे आपकी बात जरूर मानेंगे।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब-
– मनीष भाई, किसान को जब हम अर्थव्यवस्था की धुरी मान लेंगे तो समझ लीजिए कि समावेशी विकास की धुरी तक पहुंच गए हैं।
– आपने ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ के बारे में कहा। निश्चित तौर पर इससे हमारे प्रदेश के 19 लाख किसानों को लाभ मिल रहा है। दो किस्तों में 3 हजार करोड़ का भुगतान हो चुका है। अब जल्दी ही पूरे 5700 करोड़ रू. भुगतान का वादा भी पूरा हो जाएगा। हमने न सिर्फ धान के किसानों को 2500 रूपए प्रति क्विंटल देने का वादा पूरा किया है, बल्कि मक्का, गन्ना के साथ छोटी-छोटी बहुत सी फसलों का भी बेहतर दाम देंगे।
– हमने कर्ज माफी की, सिंचाई कर माफ किया और अब न्याय योजनाओं का सिलसिला भी शुरू कर दिया है।
– गोधन न्याय योजना के चालू होते ही गौठान निर्माण में तेजी आई है। हर 15 दिन में हम खरीदे गए गोबर का भुगतान कर रहे हैं।
– स्व-सहायता समूह से जुड़कर ग्रामीण महिलाएं गोबर खरीदकर, वर्मी कम्पोस्ट बना रही हैं। इस तरह से ग्रामीण जनता ही नहीं, बल्कि अनेक संस्थाओं को भी अपनी भूमिका निभाने का अवसर मिला।
– ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए गांव के सभी वर्गों का एकजुट होना, मेरे ख्याल से सिर्फ आर्थिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक क्रांति भी है।
– जिस तरह से कुछ लोग गाय और शिक्षा प्रणाली को लेकर सिर्फ बातें करते थे, करते कुछ नहीं थे। उन्हें यह देखना चाहिए कि हमारे 40 नए इंग्लिश मीडियम स्कूलों में प्रवेश भी अब सम्मान का विषय बन गया है।
– ‘पढ़ाई तुंहर दुआर’ ‘पढ़ाई तुंहर पारा’, जैसे लोक अभियानों से हमने बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखा है।
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– जहां तक ब्लॉक स्तर पर उद्योग-धंधे खोलने का सवाल है तो यह बता दूं कि हमें वरिष्ठ सांसद राहुल गांधी जी ने ही न्याय योजना शुरू करने, हर ब्लॉक में फूडपार्क खोलने जैसे व्यावहारिक उपाय बताए थे। हमने 200 फूडपार्क खोलने की योजना बना ली है और इनमें से 100 से ज्यादा के लिए जमीन का इंतजाम भी हो गया।
– हमने औद्योगिक विकास को ब्लॉक स्तर पर पहुंचाने वाली नई औद्योगिक नीति लागू कर दी है।
– लखमूराम भास्कर जी, यह जानकर खुशी हुई कि आमचो बस्तर, आमचो ग्राम, आमचो रोजगार के माध्यम से जो पहल हमने की है, उसका लाभ मिलना शुरू हो गया है। परदेशी भाई, लक्की भाई और कई साथियों ने इस बारे में बताया है। सबको धन्यवाद।
– दंतेवाड़ा के छात्र सूरज कश्यप ने बताया कि पंचायत में लगाए सर्वर से उसे ही नहीं बल्कि उसके माता-पिता को भी लाभ मिल रहा है।
– सूरज बेटा, आप लोगों के साथ मिलकर ही हमें बस्तर को बदलना है।
– मैं आपके माता-पिता से कह देता हूं कि आपको कभी-कभी कार्टून और अन्य रोचक तथा ज्ञानवर्धक कार्यक्रम देखने दिया करें।
एंकर
– माननीय मुख्यमंत्री जी, नरवा, गरवा, घुरवा, बारी को लेकर आज भी ग्रामीण अंचल में बहुत जिज्ञासा है। ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं होता, जिसमें इस संबंध में चर्चा न हो। एक सवाल लेते हैं।
1. मानवेन्द्र साहू, गर्रापार, राजनांदगांव-
नरवा-गरवा -घुरवा- बारी आपकी बहुत ही महत्वाकांक्षी योजना है। इसके माध्यम से हम समावेशी विकास कैसे प्राप्त कर सकते हैं या इसके माध्यम से रोजगार की प्राप्ति कैसे होगी, खासतौर पर बेरोजगारी के उद्देश्य में ?
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– मानवेन्द्र भाई, हमारी सुराजी गांव योजना को आप लोगों ने जिस तरह से हाथों-हाथ लिया है, उससे मैं बहुत उत्साहित हूं।
– यह योजना वास्तव में ग्रामवासियों को ही चलानी है।
– नरवा का पानी सिंचाई के लिए भी जरूरी है और अन्य कार्यों के लिए भी। गरवा, गौठान, गोधन न्याय योजना सब एक दूसरे से जुड़ गए हैं। जैविक खाद भी बन रही है और मूर्तियां भी। हर गौठान में समिति भी हैं और इनके साथ महिला स्व-सहायता समूह भी बन रहे हैं। सब मिलकर अपने गांव की जमीन को उपजाऊ भी बना रहे हैं और रोजगार का नया-नया साधन भी अपना रहे हैं। गौठान, गोधन, बाड़ी, जैविक खाद निर्माण विपणन आदि के माध्यम से लाखों लोगों के लिए रोजगार के रास्ते बन रहे हैं।
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– मुझे लगता है कि गांव के संसाधन को जब गांव के लोग अपना समझकर उसे आर्थिक उन्नति के लिए उपयोग में लाते हैं, तो यह समावेशी विकास का सबसे अच्छा उदाहरण बन जाता है।
– मेरा पूरा विश्वास है कि आप सब लोग मिलकर गांवों को सचमुच में चमन बना देंगे और यही छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी ताकत होगी।
एंकर
– माननीय मुख्यमंत्री जी, कोरबा की अनिमा सहाय आपसे सीधे रू-ब-रू हैं। उनकी पूरी बात सुनकर जवाब देने की कृपा कीजिए।
1. अनिमा सहाय, कोरबा-
सीएम साहब को प्रणाम, मैं टीवी में संस्कृति संबंधी एड देखती हूं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है। अभी तक किसी भी मुख्यमंत्री ने टीवी में हमारी छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति का कोई भी एड नहीं किया है। हम लोग बाहर जाते हैं तो वहां के लोग हमें सम्मान की दृष्टि से देखते हैं कि हम छत्तीसगढ़ से हैं। हमारी छत्तीसगढ़ी संस्कृति का इस तरह विस्तार और पहचान देखकर हमें बहुत अच्छा लगता है। यह भी कहना चाह रही हूं कि शिक्षण पद्धति का विस्तार कुछ इस तरह हो कि बाहर के लोग हमारे यहां पढ़ने आएं, तो हमें और भी बहुत अच्छा लगता।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
– अनिमा बहन, समावेशी विकास के हमारे मॉडल में छत्तीसगढ़ की अस्मिता और छत्तीसगढ़ी संस्कृति पर भी पूरा ध्यान दिया जा रहा है।
– मेरा मानना है कि जब हम अपनी संस्कृति से जुड़े रहते हैं तब हम न सिर्फ अपने मन में शांति और खुशी का अनुभव करते हैं, बल्कि हमारे मन में उत्साह और उमंग भी पैदा होती है। यह ऊर्जा हमें न सिर्फ अपने परिवार के प्रति जिम्मेदार बनाती है, बल्कि समाज और प्रदेश की प्रगति में भी सहायता करती है।
– हरेली, तीजा-पोरा, भक्तमाता कर्मा जयंती, विश्व आदिवासी दिवस, छठ पूजा के अवसर पर अवकाश देकर हमने यह महसूस किया है कि ऐसे अवसरों पर लोग न सिर्फ खुशी मनाते हैं, बल्कि अपने मूल्यों, आदर्शाें और जड़ों से भी जुड़ते हैं। गरिमा और अस्मिता का यह जुड़ाव भी समावेशी विकास के लिए जरूरी है।