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2025 में खतरनाक स्तर पर पहुंचेगा उत्सर्जन, ग्रीन एनर्जी की ओर बढ़ेगा विश्व

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दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने (International Energy Agency) ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें यह कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर 2025 में सबसे ज्यादा उत्सर्जन होगा। हालांकि धीरे-धीरे उत्सर्जन में कमी आयेगी। यह रिपोर्ट वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक 2022 के नाम से आज ही जारी की गयी है।

वर्ल्ड एनर्जी आउट 2022 को नवीनतम एनर्जी डेटा और बाजार के विकास (International Energy Agency) के आधार पर तैयार किया गया है। रिपोर्ट में कई सवाल उठाये गये हैं, जिसमें यह भी कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर क्लीन एनर्जी को अपनाने में देरी की जा रही है। इसके प्रति सरकारों को ज्यादा गंभीर होने की जरूरत है।

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यूक्रेन युद्ध का पड़ेगा प्रभाव

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यूक्रेन युद्ध की वजह से विभिन्न तरीके के आर्थिक पहलू सामने आये हैं। जो विश्व को जीवाश्म ईंधन की ओर से ग्रीन एनर्जी की ओर लेकर जायेंगे, जिसकी वजह से उत्सर्जन घटेगा और 2030 तक इसमें काफी गिरावट देखने को मिलेगी।

COP26 में भी उत्सर्जन घटाने की प्रतिज्ञा ली गयी

COP26 में भी इस बात की प्रतिज्ञा ली गयी थी कि उत्सर्जन को तेजी से कम किया जायेगा। ऐसे में जो परिदृश्य सामने नजर आ रहा है उसके अनुसार 2025 तक वैश्विक उत्सर्जन अपने चरम पर होगा, हालांकि 2025 के बाद से इसमें गिरावट नजर आयेगी और 2030 तक कार्बन डाइआक्साइट की मात्रा में 31.5 जीटी की कमी आयेगी।

कुल उत्सर्जन हर साल बढ़ रहा

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस समेत जीवाश्म ईंधन के लिए वैश्विक मांग अगले कुछ दशक में कमजोर होगी। जिससे नेट जीरो उत्सर्जन में मदद मिलेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि कुल उत्सर्जन इस समय हर साल बढ़ रहा है, लेकिन ऐसा धीरे-धीरे हो रहा है, जिसे वैकल्पिक ऊर्जा की ओर कदम बढ़ाकर रोका जा सकता है। आईईए के कार्यकारी निदेशक फातिह बिरोल ने अपने बयान में कहा है कि यूक्रेन पर रूस के हमले की वजह से ऊर्जा बाजार और नीतियां बदली हैं, जिसके दूरगामी परिणाम नजर आयेंगे।फातिह बिरोल ने कहा, ऊर्जा जगत हमारी नजरों के सामने नाटकीय तरीके से बदल रहा है दुनियाभर में सरकारों की कार्रवाई से यह स्वच्छ, अधिक किफायती और अधिक सुरक्षित ऊर्जा प्रणाली की ओर बढ़ने में ऐतिहासिक और निर्णायक बिंदु साबित होगा।

पूरे विश्व में जीवाश्म ईंधन की डिमांड बढ़ी

International Energy Agency की इस रिपोर्ट का आधार यह है कि पूरे विश्व में जीवाश्म ईंधन की डिमांड बढ़ी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले कुछ वर्षों में कोयले की डिमांड बढ़ेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे में एनर्जी क्राइसिस की स्थिति उभरेगी और उससे निपटने की कोई उपयुक्त तैयारी नजर नहीं आ रही है। लेकिन यही स्थिति विश्व को ग्रीन एनर्जी की ओर लेकर जायेगी ऐसा रिपोर्ट में दावा किया गया है।