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लद्दाख के हॉट स्प्रिंग, गोगरा से हटने लगीं भारत-चीन की सेनाएं

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दिल्ली। गलवान संघर्ष के दो साल बाद भारत को लद्दाख (GALWAN) में एलएसी पर बड़ी कूटनीतिक सफलता हासिल हुई है। गुरुवार से गोगरा-हॉट स्प्रिंग (पेट्रोलिंग पॉइंट) 15 से दोनों देशों की सेनाओं का हटना शुरू हो गया है।

भारत और चीन के बीच 17 जुलाई को कोर कमांडर लेवल की 16वें दौर की बातचीत में डिसएंगेजमेंट को लेकर फैसला किया गया था। एलएसी पर चीन के आक्रामक रवैए को भारत ने सेना की ऑपरेशनल तैयारी और रणनीतिक योजना से लगातार नियंत्रित किया। इससे पहले फरवरी 2021 में पैंगोंग झील के दक्षिण किनारों से डिसएंगेजमेंट हो चुका है, जबकि अगस्त 2021 में दूसरे चरण का डिसएंगेजमेंट किया जा चुका है।

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सेनाओं को पीछे हटाने पर सहमति बनी थी

इस दौरान भारत-चीन ने संयुक्त बयान (GALWAN)  में कहा कि बातचीत में 8 सितंबर, 2022 से सेनाओं को पीछे हटाने पर सहमति बनी थी। इसी के तहत दोनों सेनाओं ने योजनाबद्ध तरीके से पीछे हटना शुरू कर दिया है। भारत के रक्षा मंत्रालय के अनुसार गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स (पीपी-15) के क्षेत्र में भारतीय और चीनी सैनिकों ने सुनियोजित तरीके से पीछे हटना शुरू कर दिया है, जो शांति के लिए अनुकूल है और इससे सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति भी बरकरार रहेगी।

शिखर सम्मेलन होना

उज्बेकिस्तान में अगले सप्ताह शंघाई सहयोग सहयोग संगठन (एससीओ) का शिखर सम्मेलन होना है। इसमें पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात होनी है। एलएसी (GALWAN)  पर तनाव का असर इस सम्मेलन पर पड़ने की आशंका थी, ऐसे में दोनों देशों ने तनाव को खत्म करने के लिए यह कदम उठाया है। बता दें कि गतिरोध को दूर करने के लिए दोनों देशों के बीच सैन्य, राजनयिक व राजनीतिक स्तर पर वार्ताओं के कई दौरे हो चुके हैं। गलवान और पैंगोंग झील क्षेत्र में झड़प के बाद लद्दाख क्षेत्र में चीन व भारत, दोनों देशों ने हजारों सैनिकों के साथ भारी हाथियारों को तैनात कर दिया था। सूत्रों के अनुसार वर्तमान में दोनों देशों के लद्दाख इलाके और संवेदनशील पहाड़ी क्षेत्र में 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं।