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“स्व का संघर्ष” स्वाधीनता आंदोलन पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी, दिग्गजों ने रखे विचार…

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रायपुर। भारतीय इतिहास संकलन समिति छत्तीसगढ़ और भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के तत्वाधान में एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन राजधानी रायपुर में हुआ।

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तीन दिवसीय इस संगोष्ठी में आज़ादी का अमृतमहोत्स्व मना रहे भारत देश के लिए “स्व का संघर्ष…स्वाधीनता आंदोलन” जैसे अहम विषयों पर चर्चा हुई। यहाँ देश दुनिया के तमाम दिग्गजों ने इस महत्वपूर्ण बिंदु पर अपना महत्वपूर्ण वक्तव्य दिया।

संगोष्ठी में स्वतंत्रा संग्राम, आज़ादी के नायक, उनकी भूमिका, भारत की जनता का संघर्ष, स्वतंत्र भारत और वर्तमान भारत जैसे तमाम बिंदुओं पर विद्वानों ने अपनी बातें रखी। संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि डॉ. बालमुकुंद पाण्डेय, संगठन सचिव,

अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना नई दिल्ली और विशिष्ट अतिथि जे नन्दकुमार, अखिल भारतीय संयोजक प्रज्ञा प्रवाह के रूप में मौजूद थे। इसके साथ ही सारस्वत अतिथि महामहिम फाम सन्ह चाऊ जो भारत में वियतनाम के राजदूत है उन्होंने भी इस संगोष्ठी में हिस्सा लिया, और भारत के आज़ादी की गौरवगाथा का बखान किया।

संगोष्ठी में बताया आज़ादी का महत्व

इस संगोष्ठी में पद्मश्री तीजन बाई ने भी शिरकत की थी। उन्होंने भी इस संगोष्ठी में अपने विचार रखते हुए आज़ादी का संघर्ष और उसके महत्त्व पर अपनी बात रखी। इसके साथ ही तीजन बाई ने यहाँ पंडवानी, मांदरी नृत्य, मड़ई नाचा का आयोजन भी किया गया था।
उदघाटन सत्र के दौरान स्वस्तिवाचन , मंगलाष्टक , माँ सरस्वती का पूजन तथा भजन का आयोजन पण्डित अमन – अमित शुक्ला महामाया मन्दिर रायपुर द्वारा सम्पन्न हुआ।

ये नामचीन दिग्गज हुए शामिल

“स्व का संघर्ष…स्वाधीनता आंदोलन” विषय पर भारतीय इतिहास संकलन समिति छत्तीसगढ़ और भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के तत्वाधान में हुई इस संगोष्ठी में हज़ारों की संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया।

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जिसमें कार्यक्रम के अतिथि के रूप में ओम उपाध्याय, सदस्य / सचिव, भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद नई दिल्ली, अध्यक्ष प्रो. आलोक चक्रवाल कुलपति ,गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर, डॉ नितेश मिश्र, सहायक प्राध्यापक भारतीय इतिहास संकलन समिति छत्तीसगढ़ प्रान्त प्रमुख रूप से मंचस्थ रहे।