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संतान पैदा करने के लिए कैदी के पैरोल केस में दखल नहीं

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दिल्ली। संतान पैदा करने के लिए कैदी को पैरोल के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार (RAJISTHAN SARKAR) की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। याचिका पैरोल के फैसले के खिलाफ दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हालांकि उसे राजस्थान हाई कोर्ट की टिप्पणियों पर कुछ आपत्ति है, लेकिन वह मामले में दखल नहीं देगा।

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शीर्ष अदालत ने राजस्थान सरकार को इस मामले को फिर से हाई कोर्ट ले जाने के निर्देश देते हुए कहा कि अगर किसी और कैदी को इस तरह संतान पैदा करने के लिए पैरोल दिया जाता है तो सरकार हाई कोर्ट में चुनौती दे सकती है। हाई कोर्ट के फैसले के बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है।

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने यह फैसला सुनाया। सरकार (RAJISTHAN SARKAR) ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले के बाद ऐसे मामलों की बाढ़ आ गई है। हाई कोर्ट ने फैसले में कहा था कि पैरोल नियम 2021 में कैदी को उसकी पत्नी के गर्भधारण के लिए पैरोल पर रिहा करने का प्रावधान नहीं है। फिर भी सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक और मानवीय मूल्यों पर विचार करते हुए यह कोर्ट याचिका को स्वीकार करता है।

यह है मामला

नंदलाल नाम का कैदी अजमेर जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। उसकी पत्नी (RAJISTHAN SARKAR) ने मां बनने के लिए उसे पैरोल पर छोड़ने की मांग करते हुए राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने नंदलाल को सशर्त पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए थे।