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ब्लड के नाम पर चढ़ाया जा रहा लाल पानी, डेढ़ घंटे में मर जाता है मरीज

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दिल्ली। खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन यानी FSDA की एक रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि लखनऊ के ब्लड बैंकों में जो खून स्टोर किया गया है, वह ह्यूमन बॉडी के लिए फिट नहीं है। जानलेवा है।

FSDA के सहायक आयुक्त बृजेश कुमार ने बताया, ”29 जून, 30 जून और 2 जुलाई को FSDA और STF की टीम ने ब्लड बैंकों में छापेमारी की थी। लखनऊ के ब्लड बैंकों से कुल 7 सैंपल लिए गए। इन सभी सैंपलों का खून मिलावटी है।”

राजस्थान से यूपी में होती है अवैध खून की सप्लाई

29 जून, दिन- बुधवार। नौशाद और असद नाम के खून तस्कर जयपुर से लखनऊ के लिए निकलते हैं। उनकी कार में अवैध खून से भरे 302 थैले थे। ये खून (FSDA ) के थैले गत्ते के अंदर भरे हुए थे। इसी बीच मुखबिर STF के SP प्रमेश कुमार शुक्ला को ये जानकारी दे देता है। शाम तक दोनों अपने अड्डे पर पहुंच जाते हैं।

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नौशाद ने आगे बताया, “हम ज्यादातर खून के थैलों की इंट्री दस्तावेजों में नहीं करते थे। फर्जी डॉक्यूमेंट बनाते थे। लखनऊ के ब्लड बैंको की डिमांड पर खून के बैग्स को 700-800 रुपए की कीमत पर सप्लाई कर देते थे। लखनऊ में उस खून में मिलावट की जाती है।” 7 लोग भले ही गिरफ्तार हो चुके हों, लेकिन STF को शक है कि इनका नेटवर्क और बड़ा हो सकता है।

यूपी में होता है खून में से-लाइन वाटर मिलाने का खेल

STF SP प्रमेश शुक्ला ने ऑफ कैमरा बताया, “तस्करी किए गए खून के थैलों में किसी भी ब्लड बैंक का लेबल नहीं होता है और ना ही टेम्परेचर का ध्यान रखा जाता है। लखनऊ के मेड लाइफ ब्लड बैंक, नारायणी ब्लड बैंक और मानव ब्लड बैंक में खून में से-लाइन वाटर मिलकर दोगुना कर दिया जाता था।”

SP शुक्ला ने आगे कहा, “मिलावट के बाद इस खून को महंगे दामों पर लखनऊ के चैरिटेबल ब्लड बैंक, हरदोई के यूनिवर्सल ब्लड बैंक, फतेहपुर के आभा ब्लड बैंक, कानपुर के मां अंजली ब्लड बैंक, बहराइच के हसन ब्लड सेंटर और उन्नाव के सिटी चैरिटेबल ब्लड बैंक में सप्लाई कर दिया जाता था।

तस्कर नौशाद के फोन से 1150 ऐसे नंबर मिले हैं, जिनके साथ (FSDA ) वो हमेशा कांट्रैक्ट में रहता था। अभी हमारे निशाने पर यूपी के 137 ब्लड बैंक हैं, जांच जारी है।” यूपी STF एसपी विक्रम विशाल विक्रम ने बताया, “इस तरह का अपराध करने वाले अपराधियों को उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान है।”

एक से डेढ़ घंटे में हो जाती है मरीज की मौत

लोकबंधु अस्पताल के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया, “खून को बैक्टीरिया से बचाने के लिए 2 से 8 डिग्री के टेम्परेचर की जरूरत होती है। खून तस्करों को इससे कोई मतलब नहीं होता। ये तस्कर मिलावट करने के लिए ब्लड बैग की पैकिंग वाली टिप भी खोल देते हैं। पैकिंग खुलते ही बैक्टीरिया बैग के अंदर चले जाते हैं और उसे जहरीला बना देते हैं।”

डॉ. त्रिपाठी आगे कहते हैं, “खून का अवैध धंधा करने वाले खून में से-लाइन वाटर मिलाते हैं। इस तरह का खून मरीज के लिए बेहद खतरनाक होता है। इससे मरीज के शरीर में इन्फेक्शन फैल जाता है। 75% मरीज तो एक से डेढ़ घंटे के अंदर हार्ट फेल होने की वजह से दम तोड़ देते हैं।”