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उपभोक्ता कार्य विभाग ने “राइट टू रिपेयर” को विकसित करने बनाई समिति

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नई दिल्ली। सतत खपत के माध्यम से एलआईएफई-लाइफ (लाइफस्टाइल फॉर दी एनवायरेन्मेंट) आंदोलन को गति देने के प्रयासों के तहत उपभोक्ता कार्य विभाग ने “राइट टू रिपेयर” के लिये एक आमूल प्रारूप विकसित करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण पहल की है।

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भारत में उपभोक्ता उत्पादों में क्रेता द्वारा स्वयं सुधार करने या उनकी मरम्मत करने का प्रारूप तैयार करने का लक्ष्य स्थानीय बाजारों के उपभोक्ताओं तथा उत्पाद क्रेताओं को अधिकार सम्पन्न बनाना है। इस कदम से मूल उपकरण निर्माताओं और तीसरे पक्ष के खरीददारों तथा विक्रेताओं के बीच कारोबार सरल बनेगा, उत्पादों की तर्कसंगत खपत को विकसित करने को मजबूती मिलेगी और ई-कचरे में कमी आएगी।

भारत में इसके शुरू हो जाने के बाद, उत्पादों के स्वरूप में भारी बदलाव आ जाएगा और तीसरे पक्ष द्वारा उपकरणों की मरम्मत/सुधार की अनुमति मिलने से आत्मनिर्भर भारत के जरिये रोजगार भी पैदा होंगे।

इस सम्बंध में विभाग ने एक समिति का गठन किया है, जिसकी अगुवाई उपभोक्ता कार्य विभाग की अपर सचिव निधि खरे करेंगी। समिति में उपभोक्ता कार्य विभाग के संयुक्त सचिव अनुपम मिश्र, पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायलय के पूर्व न्यायाधीश तथा पंजाब के राज्य उपभोक्ता विवाद निस्तारण आयोग के पूर्व अध्यक्ष न्यायमूर्ति परमजीत सिंह धालीवाल,

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राजीव गांधी राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, पटियाला के कुलपति प्रो. (डॉ.) जी.एस. बाजपेयी, उपभोक्ता विधि और विधिक कार्य पीठ के प्रो. अशोक पाटिल, आईसीईए, एसआईएएम, उपभोक्ता कार्यकर्ता और उपभोक्ता संगठनों के विभिन्न हितधारकों को सदस्य बनाया गया है।