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हसदेव अरण्य में खदान के विरोध का प्रस्ताव पास, अब जिला प्रशासन ग्राम सभा को बता रहा अवैध

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रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति में बड़ा मुद्दा बनने के बाद भी हसदेव अरण्य क्षेत्र में खनन का संकट कम होता नहीं दिख रहा है। अब वहां परसा ईस्ट केते बासन (PEKB) खदान के विस्तार को लेकर हुई ग्राम सभा पर तकरार शुरू हो गया है। सरगुजा कलेक्टर के निर्देश पर घाटबर्रा के सरपंच ने ग्राम सभा कराया। उसमें खदान के विरोध में प्रस्ताव पारित हुआ। अब सरगुजा प्रशासन उस ग्राम सभा को अवैध बताने की कोशिश कर रहा है।

घाटबर्रा के सरपंच जयनंद पाेर्ते ने बताया, 25 मई को कलेक्टर संजीव झा ने एक पत्र जारी कर घाटबर्रा गांव में प्रस्तावित खदान परियोजना के लिए विशेष ग्राम सभा कराने का निर्देश दिया था। इसके लिए 28 मई (PEKB)  की तारीख तय हुई। उस दिन ग्राम सभा हुई लेकिन ग्रामीणों ने प्रस्ताव का तीखा विरोध शुरू किया तो विवाद हो गया। प्रशासन ने ग्राम सभा को स्थगित कर दिया। उसके बाद एसडीएम ने फोन पर चर्चा के बाद 4 जून को ग्राम सभा की तारीख तय हुई। उस दिन भी ग्राम सभा की बैठक नहीं हो पाई। उसके बाद 8 जून को ग्राम सभा करा ली गई। इसमें मौजूद लोगों ने खदान के लिए भूमि-अधिग्रहण और मुआवजा आदि के प्रस्ताव काे नामंजूर कर दिया। उसके बाद ग्राम सभा ने प्रशासन के प्रस्ताव के विरोध में प्रस्ताव पारित कर दिया।

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सरपंच और सचिव ने इसकी जानकारी एसडीएम और जनपद पंचायत को भेज दी। उसके बाद से ही सरगुजा जिला प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। अब प्रशासन की ओर से 7 जून 2022 की तारीख अंकित एक पत्र जारी किया गया है। इसमें जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी विनय कुमार लंगेह ने कलेक्टर के तौर पर ग्राम सभा की विशेष बैठक के लिए 25 मई को जारी आदेश को अगले आदेश तक के लिए स्थगित करने को कहा है। इस पत्र के जरिए जिला प्रशासन बताने की कोशिश कर रहा है कि 8 जून को घाटबर्रा में हुई विशेष ग्राम सभा कलेक्टर के आदेश के मुताबिक नहीं थी। वहीं सरपंच जयनंदन पोर्ते का कहना है कि उन्होंने 7 जून का कोई आदेश देखा भी नहीं है

पूरे गांव को विस्थापित करने का है प्रस्ताव

राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम (PEKB)  को परसा ईस्ट केते बासन कोयला खदान 2012 में आवंटित हुई थी। इसमें 2013 से खनन जारी है। 2019 में इसके दूसरे फेज का प्रस्ताव आया था। इसमें परियोजना के लिए 348 हेक्टेयर राजस्व भूमि, 1138 हेक्टेयर वन भूमि के अधिग्रहण सहित करीब 4 हजार की आबादी वाले पूरे घाटबर्रा गांव को विस्थापित करने का प्रस्ताव है। इन इलाकों में इन खदान को बनाने जंगल भी काटे जा रहे हैं। जिसका ग्रामीण विरोध भी कर रहे हैं। पिछले दिनों मंत्री सिंहदेव ने भी इन ग्रामीणों से मुलाकात की थी।

2019 में परियोजना के स्वीकृति के लिए हुई ग्राम सभा में मृतकों के हस्ताक्षर

परसा ईस्ट केते बासन कोयला खदान के दूसरे चरण के लिए 2019 में एक ग्राम सभा की स्वीकृति का दस्तावेज प्रशासन के पास होने का दावा है। पिछले दिनों घाटबर्रा गांव के कई लोगों ने शपथपत्र देकर प्रशासन को यह बताया, ग्राम सभा के उस कथित प्रस्ताव पर उनके जिन परिजनों के हस्ताक्षर हैं, वे काफी पहले मर चुके हैं। वहीं कई लोगों ने शपथपत्र देकर कहा है, उस दस्तावेज पर उनके हस्ताक्षर नहीं हैं। ऐसे में खदान के विस्तार के लिए ग्राम सभा की स्वीकृति के मूल प्रस्ताव पर ही सवाल है।

परसा कोल ब्लॉक की ग्राम सभा पहले ही विवादित

राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम की एक और खदान परसा कोल ब्लॉक की स्वीकृति के लिए कराई गई ग्राम सभा पर पहले ही विवाद है। प्रभावित गांवों के लोग स्थानीय थाने से राजभवन तक इसकी शिकायत कर चुके हैं कि उनकी ग्राम सभा ने खदान के समर्थन में कोई प्रस्ताव पारित ही नहीं किया है। राज्यपाल इस ग्राम सभा की जांच के लिए मुख्य सचिव को कई बार पत्र लिख चुकी हैं। खुद सरगुजा जिला पंचायत की सामान्य सभा ग्रामीणों के समर्थन में प्रस्ताव पारित कर चुकी है। लेकिन सरगुजा जिला प्रशासन इसमें कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। पिछले सप्ताह सरगुजा कलेक्टर संजीव झा ने जिला पंचायत अध्यक्ष को पत्र लिखकर कह दिया कि परसा कोल ब्लॉक के लिए भूमि-अधिग्रहण में ग्राम सभा के सहमति की जरूरत ही नहीं है।