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नवरात्र 2020 : नवरात्रि के तीसरे दिन पूजी जाती है मां चंद्रघण्टा, ये है पौराणिक महत्व

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रायपुर। नवरात्र के तीसरे दिन माता चंद्रघण्टा की पूजा की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा माना जाता है कि मां पार्वती और भगवान शिव के विवाह के दौरान उनका यह नाम पड़ा था। शिव के माथे पर आधा चंद्रमा इस बात का साक्षी है। नवरात्र के तीसरे दिन पीले रंग का महत्व होता है। यह रंग साहस का प्रतीक माना जाता है।

स्वामी राजेश्वरानंद ने बताया कि नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है, जिसका विशेष महत्त्व है। मां चंद्रघंटा को लाल रंग के पुष्प, लाल सेब अर्पित करें। मां चंद्रघंटा को भोग चढ़ाएं और मंत्रों का जाप करें तो घंटी जरूर बजाएं।

मां चंद्रघंटा को दूध बेहद प्रिय है इसलिये उन्हें दुध से बनी चीजों का भी भोग अर्पित किया जा सकता है। मान्यता है कि मां चंद्रघंटा को मखाने की खीर का भोग लगाने से वे जल्दी प्रसन्न होगी और भक्तों के दुखों को हरती है।

मां चंद्रघंटा के मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और चंद्रघंटा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे माँ, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें। इस दिन सांवली रंग की ऐसी विवाहित महिला जिसके चेहरे पर तेज हो, उन्हें सम्मान पूर्वक बुलाकर उनका पूजन करना चाहिए। भोजन में दही और हलवा खिलाएँ। भेंट में कलश और मंदिर की घंटी भेंट करना चाहिए।