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नवरात्र 2020 : इस मंत्र के जाप से प्रसन्न होती है मां ब्रह्मचारिणी

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रायपुर। नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी के नाम का अर्थ- ब्रह्म मतलब तपस्या और चारिणी का अर्थ आचरण करने वाली देवी होता है। मान्यता के अनुसार इन्हें तप की देवी कहा जाता है। क्योंकि इन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी।

स्वामी राजेश्वरानंद ने बताया कि वह सालों तक भूखे प्यासे रहकर शिव को प्राप्त करने के लिए इच्छा पर अडिग रहीं। इसीलिए इन्हें तपश्चारिणी के नाम से भी जाना जाता है। ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी माता का यही रूप कठोर परिश्रम की सीख देता है, कि किसी भी चीज़ को पाने के लिए तप करना चाहिए। बिना कठिन तप के कुछ भी प्राप्त नहीं हो सकता।

स्वामी राजेश्वरानंद ने बताया कि नवरात्रि का दूसरे दिन की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा नवरात्रि का दूसरा दिन माता ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है। माता ब्रह्मचारिणी मां दुर्गा का दूसरा रूप है, ऐसा कहा जाता है कि जब माता पार्वती अविवाहित थीं, तब उनको ब्रह्मचारिणी के रूप में जाना जाता था।

यदि माँ के इस रूप का वर्णन करें तो वे श्वेत वस्त्र धारण किए हुए है, और उनके एक हाथ में कमण्डल और दूसरे हाथ में जपमाला है। देवी का स्वरूप अत्यंत तेज और ज्योतिर्मय है। जो भक्त माता के इस रूप की आराधना करते है, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन का विशेष रंग नीला है जो शांति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।

इस मंत्रों का करें जाप
दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा !
(अर्थात जिनके एक हाथ में अक्षमाला है और दूसरे हाथ में कमण्डल है, ऐसी उत्तम ब्रह्मचारिणीरूपा मां दुर्गा मुझ पर कृपा करें।)

माता ब्रह्मचारिणी को लगाएं ये भोग
मां ब्रह्मचारिणी को दूध और दही का भोग लगाया जाता है। इसके अलावा चीनी, सफेद मिठाई और मिश्री का भी भोग लगाया जा सकता है। इसके साथ ही मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री, चीनी और पंचामृत का भेग लगाया जाता है। इन्हीं चीजों का दान करने से लंबी आयु का सौभाग्य भी पाया जा सकता है।