रायपुर। सूबे के सियासी गलियारों में एक बार फिर झीरम कांड का जिन्न बाहर आया है। इस मामलें में विधानसभा में नेताप्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने झीरम जाँच आयोग को निरस्त करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है।
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वहीं दूसरी तरफ इस मामलें में नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव डहरिया उनकी इस अपील पर सवाल उठाए है। डहरिया ने आज एक पत्रकारवार्ता लेकर भाजपा पर भी जमकर निशाना साधा है।
मंत्री डॉ. डहरिया ने कहा कि “आखिर भाजपा झीरम की जांच क्यों रोकना चाहती है ?” डहरिया ने कहा कि “झीरम घाटी कांड पर गठित न्यायिक जांच आयोग को लेकर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने एक बार फिर से हाईकोर्ट में याचिका लगाई है, और नये आयोग को निरस्त करने की मांग की है। ये कोई पहली बार नहीं हुआ है जब भाजपा ने झीरम घाटी कांड की जांच में बाधा खड़ी करने की कोशिश की हो।”
जाँच आयोग ने की थी समय बढ़ाने की मांग
मंत्री डॉ. शिव डहरिया ने आगे कहा कि “झीरम घाटी कांड की जांच सबसे अधिक भाजपा के शासन काल में हुई तो जाहिर सी बात है कि जांच के बिन्दु भी भाजपा ने ही तये किये होंगे। धरमलाल कौशिक शायद ये भूल गये कि भाजपा के शासनकाल में 2013 से लेकर 2018 तक झीरम घाटी जांच आयोग की जांच पूरी नहीं हुई थी,
कांग्रेस की सरकार बनने के बाद भी आयोग की समय वृद्धि की गई। आयोग ने समय वृद्धि के लिये फिर से शासन को लिखा था, परंतु जस्टिस प्रशांत मिश्रा का तबादला हो जाने के बाद आयोग की ओर से राज्य शासन को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी गई थी।”
सच सामने आए इसलिए किया गठन
डहरिया ने कहा कि हमारी सरकार को लगता है कि झीरम घाटी कांड की जांच और गहन रूप से और दूसरे आयामों में भी करना जरूरी है। जिसके बिना झीरम घाटी घटना का सच सामने नहीं आ पायेगा,
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इसीलिये सरकार ने न्यायिक जांच आयोग का गठन किया है। उन्होंने कहा कि झीरम घाटी कांड एक ऐसा कांड था जिसने कांग्रेस के नेतृत्व की एक पूरी पीढ़ी को ही समाप्त कर दिया था।