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खैरागढ़ चुनाव : 20 दिनों से जारी प्रचार अभियान आज शाम थमेगा

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रायपुर। खैरागढ़ विधानसभा (KHAIRAGADH CHUNAV) के गांवों-शहरों में पिछले 20 दिनों से चल रही चुनाव प्रचार की आंधी रविवार शाम थम जाएगी। चुनाव प्रचार के लिए खैरागढ़ विधानसभा के चार प्रमुख मोर्चे हैं। कांग्रेस और भाजपा ने अपने महारथी नेताओं को इन मोर्चों पर 15 दिनों से तैनात कर रखा था।

खैरागढ़ विधानसभा (KHAIRAGADH CHUNAV)  का क्षेत्र भौगोलिक रूप से दो प्रमुख हिस्सों में बंटा है। पहला मैदानी इलाका है जिसका विस्तार खैरागढ़, छुईखदान और गंडई के अधिकांश हिस्सों में है। दूसरा हिस्सा पहाड़ी है जो साल्हेवारा क्षेत्र में पड़ता है। सामाजिक रूप से इसके चार प्रमुख क्षेत्र हैं। पहला खैरागढ़ से जालबांधा तक का इलाका। इस इलाके में लोधी समाज की बहुलता है। खैरागढ़ से छुईखदान तक एक मिश्रित आबादी वाला इलाका है।

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वहीं छुई खदान से गंडई तक सतनामी समाज की आबादी अधिक है। साल्हेवारा के वन क्षेत्र में आदिवासी समाज की बड़ी आबादी रहती है। राजनीतिक दलों का पूरा प्रचार अभियान इसी जातीय-सामाजिक ध्रुवीकरण के गणित पर केंद्रित था। सत्ताधारी कांग्रेस ने इसमें एक कदम आगे बढ़कर किसान को एक समाज के रूप में ले आई है। वहीं भाजपा “राम नाम’ के सहारे लोगों को एकजुट करने की कोशिश में जुटी रही।

कांग्रेस के हर विधायक को चार-पांच बूथ का जिम्मा

कांग्रेस ने यहां अपने कई और मंत्रियों-विधायकों (KHAIRAGADH CHUNAV)  को प्रचार में लगा रखा था। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने राजपरिवार के समर्थकों पर फोकस किया था। उन्होंने खैरागढ़ और साल्हेवारा क्षेत्रों में जोरदार दौरा किया। वहीं अमरजीत भगत प्रभारी मंत्री होने की वजह से लगातार सक्रिय रहे। बीमार हो गए। दो दिन बाद फिर मैदान में पहुंचे। गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने वॉर रूम में मोर्चा संभाला। कांग्रेस के 70 में से कम से कम 50 विधायक प्रचार में लगे रहे। प्रत्येक विधायक को चार से पांच बूथ पर प्रचार और प्रबंधन का जिम्मा दिया गया था।