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नक्सलियों को उन्ही के पैटर्न पर खत्म करने की तैयारी

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जगदलपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य विधानसभा में पेश बजट में बस्तर में नक्सलियों (JAGDALPUR NEWS) से मुकाबला कर रहे स्थानीय जवानों के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं। उन्होंने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में शामिल होने वाले नक्सलियों के लिए एक नई फोर्स के गठन का एलान किया है। इसका नाम डीएसएफ यानी डिस्ट्रिक्ट स्ट्राइक फोर्स रखा गया है। इस घोषणा से बस्तर में नक्सल मोर्चे पर काम कर रहे सहायक आरक्षक उत्साहित हैं। सहायक आरक्षक कई साल से प्रमोशन की मांग कर रहे थे पर उनका प्रमोशन हो नहीं पा रहा था।

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डीएसएफ के गठन से अनुभवी सहायक आरक्षकों के प्रमोशन का रास्ता खुलने की उम्मीद की जा रही है। बस्तर आइजी सुंदरराज पी ने नईदुनिया को बताया कि डीएसएफ के गठन की बजट में मंजूरी के बाद अब गृह विभाग से नियमावली जारी होगी। इसके बाद ही पता चल पाएगा कि नई फोर्स का स्वरूप क्या होगा। उन्होंने कहा कि पिछले साल यानी 2021 में 550 से ज्यादा नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। सभी को फोर्स (JAGDALPUR NEWS) में शामिल करने की योजना नहीं है। जो फोर्स में आना चाहते हैं व इसके योग्य हैं उन्हें ही इसमें शामिल किया जाएगा।

आत्मसमर्पण करने वाले अन्य नक्सलियों के लिए पुनर्वास योजना के तहत अन्य कार्यक्रम चलाए जाते हैं। नई फोर्स में आत्मसमर्पण नक्सलियों के अलावा नक्सल पीड़ितों को भी शामिल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि संभाग के हर जिले में भर्ती की जाएगी। डीएसफएफ की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि जिन सहायक आरक्षकों का प्रमोशन व वेतन वृद्धि नहीं हो पा रही थी इस घोषणा से अब हो सकेगी।

तीन हजार युवाओं की फोर्स तैनात

ज्ञात हो कि वर्तमान में करीब तीन हजार युवाओं की फोर्स डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड यानी डीआरजी नक्सल मोर्चे पर तैनात है। बस्तर में चले नक्सल विरोधी आंदोलन सलवा जुड़ूम दौरान विशेष सुरक्षा अधिकारी यानी एसपीओ की भर्ती की गई थी। इनमें नक्सल हिंसा की वजह से विस्थापित परिवारों (JAGDALPUR NEWS) के युवा शामिल थे। 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने सलवा जुड़ूम पर प्रतिबंध लगाया तो एसपीओ को सहायक आरक्षक का पद देकर नई फोर्स खड़ी की गई। डीआरजी में इन युवाओं के अलावा कई आत्मसमर्पित नक्सली भी शामिल किए गए हैं।

नक्सलियों के ठिकाने जानते हैं

आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली नक्सलियों का ठिकाना जानते हैं। वे भाषा बोली व भूगोल से भी वाकिफ हैं। उनके फोर्स में आने से नक्सलियों पर काबू पाने में मदद मिलेगी। नक्सल प्रताड़ना की वजह से बेघर हो चुके कई लोगों ने नौकरी के लिए आवेदन दे रखा है। नई फोर्स में उनके लिए भी अवसर होगा। नक्सली केंद्रीय सुरक्षाबल से ज्यादा स्थानीय लड़ाकों से खौफ खाते हैं। डीआरजी के जवानों ने उन्हें आमने सामने की लड़ाई में कई बार धूल चटाई है। अब डीएसएफ के गठन के बाद यहां फोर्स की ताकत और बढ़ेगी।