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25 करोड़ ठगने वाला चिटफंड कंपनी का संचालक गिरफ्तार

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बलौदाबाजार। छतीसगढ़ के बलौदा बाजार में लोगों को सब्जबाग दिखाकर करोडे ठगने वाले आरोपी को पुलिस कर्मियों ने गिरफ्तार (GIRAFTAAR) किया है। बलौदाबाजार-भाटापारा पुलिस ने गरिमा रियल एस्टेट के फरार डायरेक्टर बालकिशन कुशवाहा को महाराष्ट्र के वर्धा से गिरफ्तार कर लिया है। उससे कंपनी की संपत्तियों के बारे में पूछताछ की जा रही है। कंपनी के एक अन्य डायरेक्टर बनवारीलाल को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। बाकी चार अन्य डायरेक्टर फरार हैं।

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पुलिस के मुताबिक गरिमा इन्वेस्टमेंट ने बलौदाबाजार-भाटापारा इलाके में कम निवेश पर अधिक मुनाफा का झांसा देकर लोगों से पैसा जमा करवाया। इसके बाद ऑफिस बंद करके फरार हो गए। कंपनी के डायरेक्टरों के खिलाफ सुहेला थाने में धोखाधड़ी व अन्य धाराओं में अपराध दर्ज था। प्रारंभिक शिकायत में कंपनी के डायरेक्टरों पर 1 करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी करने का आरोप है। बाकी अन्य स्थानों से भी लाखों रुपए जमा कराया गया है। पीडि़तों ने कंपनी से रकम वापसी के लिए आवेदन लगाया है, उसके मुताबिक कंपनी के डायरेक्टरों (GIRAFTAAR) ने 25 करोड़ रुपए की ठगी की है।

राशि वापसी के लिए 7700 आवेदन

चिटफंड कंपनी से राशि वापसी के लिए बलौदा बाजार-भाटापारा से ही 7700 आवेदन मिले हैं। आवेदन के मुताबिक कंपनी से 25 करोड़ रुपए वापस मांगे गए हैं। कंपनी में सुहेला के अलावा जिले के अन्य नगरों और कस्बों से लोगों ने राशि जमा की है।

65 लाख की संपत्ति का पता चला

पुलिस पकड़े गए आरोपी से लगातार पूछताछ क(GIRAFTAAR) र रही है। प्रारंभिक जानकारी में पुलिस को आरोपी और कंपनी के नाम से करीब 65 लाख की संपत्ति का पता चला है। इस संपत्ति को जब्त कर कुर्क करने की तैयारी की जाएगी।चिटफंड कंपनी के फरार डायरेक्टरों की गिरफ्तार और पीडि़तों की राशि वापस कराने के लिए पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है। इसी के तहत अलग-अलग जिलों में अब तक विभिन्न चिटफंड कंपनी के 8 डायरेक्टर गिरफ्तार हो चुके हैं। उन्हें जेल भेज दिया गया है और उनकी संपत्तियों की कुर्की की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

वर्ष 2009 से हुई शुरुआत

प्रदेश में चिटफंड कंपनियों का आगमन वर्ष 2009 से शुरू हुआ। इसके बाद एक के बाद एक अलग-अलग चिटफंड कंपनियां सक्रिय हुईं। रायपुर, बिलासपुर, कोरबा, दुर्ग-भिलाई जैसे बड़े शहरों में अपना ऑफिस खोला। इसके बाद छोटे जिलों और नगरों में एजेंट नियुक्त किया। एजेंट गांव-गांव तक पहुंचे और लोगों को अधिक मुनाफा का लाभ दिखाकर पैसा जमा करवाना शुरू किया। बाद में जब कंपनियां फरार होने लगी, तो एजेंट भी पीडि़त बन गए और डायरेक्टरों के खिलाफ अपराध दर्ज कराया।