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पुलिस स्मृति दिवस वीर जवानों के शौर्य की याद दिलाता है : राज्यपाल अनुसुईया उइके

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रायपुर। पुलिस के जवान मातृभूमि की सेवा के लिये अपने जीवन की भी परवाह नहीं करते हैं। हम आज अपने घरों में सुरक्षित हैं, क्योंकि पुलिस के जवान दिन-रात पूरे समर्पण भाव से अपनी ड्यूटी में तैनात रहते हैं।

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आज पुलिस स्मृति दिवस का अवसर उन वीर जवानों के शौर्य की याद दिलाता है, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए सब कुछ न्यौछावर कर दिया। ये बातें राज्यपाल अनुसुईया उइके ने आज चौथी वाहिनी, छसबल माना रायपुर के प्रांगण में पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कहीं।

उन्होंने शहीद जवानों एवं उनके माता-पिता को नमन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने पुलिस के शहीद जवानों को पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने शहीद पुलिस जवानों के परिजनों से मुलाकात कर ढाढस बंधाया और हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया।

राज्यपाल उइके ने कहा कि हमारा प्रदेश नक्सल समस्या से जूझ रहा है। इन क्षेत्रों में तैनात हमारे जवान, साहस के साथ नक्सलियों का सामना कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ पुलिस नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा कार्य के साथ ही वहां के भटके हुए लोगों को मुख्यधारा में जोड़ने का भी कार्य करते हैं। इन सब प्रयासों के फलस्वरूप प्रदेश के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जागरूकता आई है और मुझे आशा है कि हमारा प्रदेश जल्द नक्सल समस्या से मुक्त होगा।

पुलिस की चुनौतियों की मिसाल-सीएम

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आज संपूर्ण भारतवर्ष 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की विजय की स्वर्ण जयंती मना रहा है। मैं भारत की जीत सुनिश्चित करने वाले सभी जवानों को नमन करता हूं। केंद्रीय पुलिस बल के जवानों ने सन् 1959 में चीनी आक्रमणकारियों का शौर्यपूर्वक मुकाबला किया था। ये घटना पुलिस की चुनौतियों की मिसाल है। यह अवसर देश सेवा के लिये अपनी प्राण न्यौछावर करने वाले पुलिस जवानों के शौर्य को नमन करने के साथ गौरवान्वित एवं भावुक करने वाला है।

जवानों का त्याग, समर्पण और शहादत

सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में भी नक्सलवाद प्रभावित अंचलों में सीआरपीएफ एवं अन्य सुरक्षा बल के जवानों का त्याग, समर्पण और शहादत किसी से कम नहीं है। हमारी सरकार ने सुरक्षा बलों के कार्यों को सर्वाेच्च महत्ता देते हुए उनके लिए राहत और कल्याण के कदम सर्वाेच्च प्राथमिकता से उठाए हैं,

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लेकिन मेरा यह मानना है कि समाज की व्यापक सहभागिता के बिना वीर जवानों के कर्त्तव्य निर्वहन का समुचित सम्मान संभव नहीं है। उन्होंने सभी सुरक्षा बलों में तैनात जवानों के प्रति अपनी सहभागिता, शहीदों के प्रति कृतज्ञता और उनके परिवारजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की।