रायपुर। प्रदेश सरकार के खिलाफ माेर्चा खाेलने के लिए भाजपा (BJP) के राष्ट्रीय संगठन ने प्रदेश संगठन में फिलहाल एक बड़ा बदलाव करने की रणनीति बनाई है। बस्तर चिंतन शिविर में जो मंथन किया गया है, उसमें यह बात भी सामने आई है कि प्रदेश भाजपा संगठन कमजोर पड़ रहा है। सरकार के खिलाफ जिस दमदारी से मुद्दे उठाने चाहिए, उठाए नहीं जा रहे हैं। इसी के साथ आरएसएस भी प्रदेश संगठन से खफा है।
आरएसएस के पदाधिकारियों को बुलाए जाने के बाद कोई भी चिंतन शिविर में नहीं गया। ऐसे राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष को खुद आरएसएस के दप्तर तक नाराजगी का कारण जानने जाना पड़ा। अब संगठन को मजबूत करने और प्रदेश सरकार के खिलाफ हल्ला बोलने के लिए दो तेज तर्रार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने की तैयारी है। इसमें से एक ओबीसी और एक एससी वर्ग का अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना है।
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2023 की तैयारी
भाजपा (BJP) ने मिशन 2023 की तैयारी के लिए बस्तर में तीन दिनों का चिंतन शिविर आयोजित किया। इस शिविर में बंद कमरे में चुनिंदा लोगों के बीच ही चिंतन और मनन किया गया। सबसे बड़ा चिंतन संगठन को मजबूत करने, और मनन प्रदेश सरकार को घेरने और 2023 में सत्ता में वापस आने का किया गया। इस चिंतन और मनन में ही संगठन के कमजोर होने की बात सामने आई है। संगठन को मजबूत करने के लिए क्या किया जा सकता है, इसको लेकर रायशुमारी भी हुई है।
सांसद, विधायक हैं दावेदार
संगठन को मजबूत करने के लिए प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदेव साय के साथ दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाने जाने की बात हो रही है। बीजेपी नेता साय को आदिवासी नेता होने के नाते हटाना संभव नहीं होगा, क्योंकि वैसे भी भाजपा (BJP) के हाथ से पिछले चुनाव में आदिवासी सीटें फिसल गई थीं। बस्तर में भाजपा की इस समय एक भी सीट नहीं है। अगर ऐसे समय में बीजेपी नेता साय के स्थान पर किसी और को अध्यक्ष बनाने का काम किया गया तो इससे आदिवासी समाज खफा हो सकता है। यही वजह है कि भाजपा के जानकारों का साफ कहना है, दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के फार्मूले पर काम हो रहा है। इसमें से एक अध्यक्ष ओबीसी वर्ग का होगा। इस वर्ग से दो सांसद दुर्ग के विजय बघेल और बिलासपुर के सांसद अरूण साव के साथ विधायक अजय चंद्राकर का नाम प्रमुख रूप से लिया जा रहा है।