रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य के स्कूली बच्चे अब अपने इलाके की स्थानीय बोली और भाषा में पढ़ाई कर सकेंगे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा और उनकी घोषणा के अनुरूप स्कूल शिक्षा विभाग ने सादरी, भतरी, दंतेवाड़ा गोंड़ी, कांकेर गोंड़ी, हल्बी, कुडुख, उड़िया बोली-भाषा के जानकार लोगों से बच्चों के लिए पठन सामग्री, वर्णमाला चार्ट तथा रोचक कहानियों की पुस्तकें तैयार करवाकर स्कूलों में भिजवा दी गई है।
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अब पहली कक्षा से लेकर पांचवी कक्षा तक के बच्चों को उनके इलाके की बोली-भाषा में पढ़ाई करायी जाएगी, ताकि बच्चे विषयों को अच्छे से समझ सके और उसे ग्राह्य कर सके। स्कूल शिक्षा विभाग ने इसके अलावा छत्तीसगढ़ी, अंग्रेजी और हिन्दी में भी बच्चों के लिए पठन सामग्री स्कूलों को उपलब्ध करायी है। यह पुस्तकें उन्हीं इलाके के स्कूलों में भेजी गई है जहां लोग अपने बात-व्यवहार में उस बोली-भाषा का उपयोग करते है।
स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव आलोक शुक्ला ने बताया कि “छत्तीसगढ़ राज्य में अलग-अलग हिस्सों में लोगों द्वारा दैनिक जीवन में स्थानीय बोली-भाषा का उपयोग बहुलता के साथ किया जाता है। यदि इन इलाकों में बच्चों को उनकी बोली-भाषा में शिक्षा दी जाए तो बच्चों के लिए यह सरल, सहज और ग्राह्य होगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की भी यहीं मंशा रही है कि बच्चों को इस तरह से पढ़ाया-लिखाया जाए कि उन्हें बात समझ में आए। पढ़ाई-लिखायी बोझिल न लगे और वह स्कूल आने के लिए लालयित हो।”
स्थानीय बोली में बनाई पाठ्य सामग्री
शुक्ला ने बताया कि “इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए विभाग द्वारा धुर्वा, भतरी, संबलपुरी, दोरली, कुडुख, सादरी, बैगानी, हल्बी, दंतेवाड़ा गोड़ी, कमारी, ओरिया, सरगुजिया, भुंजिया बोली-भाषा में पुस्तकें और पठन सामग्री तैयार करायी गई। सभी प्राथमिक स्कूलों को उक्त पठन सामग्री के साथ-साथ छत्तीसगढ़ी तथा अंग्रेजी में वर्णमाला पुस्तिका-मोर सुग्घर वर्णमाला एवं मिनी रीडर इंग्लिश बुक दी गई है।”
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उन्होंने कहा कि “भाषा सेतु सहायिका पठन सामग्री बस्तर क्षेत्र, केन्द्रीय जोन में रायपुर-दुर्ग-बिलासपुर, सरगुजा जोन में सभी प्राथमिक कक्षा पहली-दूसरी के बच्चों को उपलब्ध करवाई गई है। इसमें बच्चे चित्र देखकर उनके नाम अपनी स्थानीय भाषा-बोली में लिखने का अभ्यास करेंगे।”