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सीएम भूपेश के हाथों मिला पत्रकार एवं साहित्यकार सतीश जायसवाल वसुंधरा सम्मान

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रायपुर। लोक जागरण पत्रिका की ओर से स्वर्गीय देवी प्रसाद चौबे की स्मृति में आयोजित 21वें वसुंधरा सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्यमंत्री बघेल ने सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं पत्रकार सतीश जायसवाल को प्रशस्ति पत्र शाल एवं श्रीफल भेंट कर 21 वें वसुंधरा सम्मान से सम्मानित किया। उन्होंने समारोह में लोकजागरण की मासिक पत्रिका ‘वसुंधरा’ के 58 वें तथा कला, साहित्य, संस्कृति की मासिक पत्रिका ‘बहुमत’ के 109वें अंक का लोकार्पण किया।

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इस दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि “छत्तीसगढ़ को समृद्ध बनाने के लिए गांवों को समृद्ध बनाना होगा। ग्रामीणों, किसानों, मजदूरों की स्थिति को बेहतर बनाने के साथ ही लोककला एवं संस्कृति को संरक्षित करना होगा। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ग्रामीण व्यवस्था को मजबूत कर रही है। गांधीवादी एवं ग्रामीण व्यवस्था के सशक्त प्रतिनिधि स्वर्गीय देवी प्रसाद के प्रति यही सच्ची श्रद्धांजलि है।”

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आगे कहा कि “स्वर्गीय देवी प्रसाद चौबे जी वैचारिक रूप से दृढ़ और धार्मिक व्यक्ति थे। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों विशेषकर देउरगांव स्थित महामाया मंदिर में बलि प्रथा की रोकथाम में अग्रणी भूमिका निभाई थी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने साहित्कार सतीश जायसवाल को वसुंधरा सम्मान के लिए बधाई और शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम को वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैय्यर ने भी सम्बोधित किया।

सत्यता और विश्वसनीयता चुनौती-डॉ. द्विवेदी

समारोह के मुख्य वक्ता डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने कहा कि “वर्तमान दौर में सूचनाओं की सत्यता और विश्वसनीयता एक बड़ी चुनौती है। सोशल मीडिया में गलत तथ्य प्रचारित किए जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में पत्रकारिता प्रतिष्ठानों की यह जिम्मेदारी है कि वह सच्ची खबरें और सोशल मीडिया में चल रही खबरों की सच्चाई बताए।”

साहित्य और पत्रकारिता साथ-जायसवाल

पत्रकार एवं साहित्यकार सतीश जायसवाल ने कहा कि “भारतीय लेखन में साहित्य और पत्रकारिता साथ साथ चली है। वसुंधरा सम्मान दोनों धाराओं को साथ लेकर चल रहा है। उन्होंने ग्रामीण व्यवस्था, संस्कृति, लोककला को पुर्नजीवित करने के लिए मुख्यमंत्री के प्रयासों की सराहना की।”

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इन्हे मिल चूका है वसुंधरा सम्मान

ज्ञातव्य है कि वर्ष 2001 से निरंतर जारी वसुंधरा सम्मान अब तक सर्वश्री रमेश नैयर, कुमार साहू, श्यामलाल चतुर्वेदी, बसंत कुमार तिवारी, बबन प्रसाद मिश्र, दिवाकर मुक्तिबोध, आशा शुक्ला, शरद कोठारी, गिरिजा शंकर, हिमांशु द्विवेदी, विनोद शंकर शुक्ल, ज्ञान अवस्थी, श्याम वेताल, अभय किशोर, गिरीश पंकज, सुशील त्रिवेदी, बी. के. एस. रे, प्रकाश दुबे, तुषार कांति बोस, ई. वी. मुरली को प्रदान किया जा चुका है।