रायपुर। सर्व आदिवासी अधिकार वंचित संघर्ष समिति के सदस्यों ने राज्यपाल अनुसुईया उइके (Governor Anusuiya Uikey) से मुलाकात करके छत्तीसगढ़ राज्य के 12 जाति समुदायों को अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल करने की मांग की है।
समिति के सदस्यों ने राज्यपाल (Governor Anusuiya Uikey) को बताया, कि मात्रात्मक त्रुटियों के कारण राज्य की अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल नहीं किया जा सका। इस कारण, यहां के आदिवासी समुदायों को संवैधानिक अधिकार प्राप्त नहीं हो पा रहे हैं। इस संबंध में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रेषित प्रस्ताव जो कि भारत सरकार, जनजातीय कार्य मंत्रालय स्तर पर लंबित है। उन्होंने राज्यपाल से उसके निराकरण हेतु प्रयास करने का आग्रह किया। राज्यपाल सुश्री उइके (Governor Anusuiya Uikey) ने प्रतिनिधिमण्डल को इस संबंध में मदद का आश्वासन दिया।
इन जातियों को शामिल करने की मांग
भारिया भूमिया के साथ समानार्थी भूईंयां, भूईयां, भूयां, धनवार के समानार्थी धनुवार/धनुवार, नगेसिया, नागासिया के साथ समानार्थी किसान, धांगड़, सावर, सवरा के पर्याय सौंरा, संवरा, बिंझिया, कोडाकू के देवनागरी रूपांतरण के रूप में कोडाकू, कोंध के साथ-साथ कोंद, भारिया नाम के अंग्रेजी रूपांतरण में बिना परिवर्तन किए हुए भरिया के पक्ष में भारिया का सुधार, पंडो, पण्डो/पन्डो, गोंड़ एंड गोंड, अनुसूचित जनजाति की सूची अंग्रेजी रूपांतरण में बिना परिवर्तन किए हुए गदबा को भारत सरकार द्वारा अनुसूचित जनजाति की जनजाति की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव 13 फरवरी 2019 को अनुमोदित किया गया था।
किंतु इस हेतु विधेयक अभी तक संसद में पारित नहीं हो पाया है। प्रतिनिधिमण्डल में जयदेव भोई, पी.एल. सिदार, युवराज रावल, हेमंत भोई, चिंतामणी भोई, भुवाल सिंह सिदार, अनिल सिंह, सुरेश उरांव, एस.आर. प्रधान, अजीत देहारी एवं संगल साय नगेशिया उपस्थित थे।