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उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी का राज, नाराज नेता सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत और धन सिंह रावत ने भी ली शपथ

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उत्तराखंड के नये मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है. वे प्रदेश के 11वें मुख्यमंत्री बने हैं और उन्होंने तीरथ सिंह रावत की जगह ली. उन्हें राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने शपथ दिलायी. धामी 44 साल के युवा हैं और खटीमा विधानसभा सीट से विधायक हैं.

पुष्कर सिंह रावत के बाद नाराज नेता सतपाल महाराज और हरक सिंह रावत ने भी शपथ लिया है. संभवत: पार्टी ने इनकी नाराजगी दूर कर दी है. हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इन्हें मंत्रिमंडल में क्या स्थान मिला है. आज शपथ लेने वाले मंत्रियों में बंशीधर भगत, यशपाल आर्य, गणेश जोशी, रेखा आर्या, धन सिंह रावत और बिशन सिंह भी शामिल हैं. मंत्रिमंडल में कोई नया चेहरा शामिल नहीं किया गया है आज शपथ लेने वाले मंत्री वही हैं जो त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत के साथ मंत्री रहे थे.

गौरतलब है कि शुक्रवार को यह सूचना आयी थी कि तीरथ सिंह रावत ने अपने इस्तीफे की पेशकश की जिसके बाद शनिवार को पुष्कर सिंह धामी को नये मुख्यमंत्री के रूप में मनोनीत किया गया. लेकिन उन्हें सीएम पद के लिए नामित किये जाने से कई नेता नाराज हो गये थे.

जानकारी के अनुसार अपने शपथ ग्रहण से पहले पुष्कर सिंह धामी असंतुष्टों को मनाने में जुटे रहे और कई नेताओं से मुलाकात की. पुष्कर सिंह धामी को प्रदेश की कमान सौंपे जाने से कई सीनियर नेता नाराज हैं. बताया जा रहा है कि धामी आरएसएस के करीबी माने जाते हैं, यही वजह है कि उन्हें सीएम कुर्सी मिली है. पार्टी का यह फैसला सीएम के दावेदारों को पसंद नहीं आ रहा है.

पूर्व मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री रह चुके सतपाल महाराज और हरक सिंह रावत जैसे कुछ नेता पार्टी आलाकमान से उस वक्त से नाराज थे जबसे धामी को मुख्यमंत्री पद के लिए मनोनीत किया गया . नाराज होने वाले नेता खुद को सीएम पद का दावेदार मानते हैं.

पार्टी के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम प्रदेश पार्टी अध्यक्ष मदन कौशिक के साथ यमुना कॉलोनी स्थित उनके आवास में नेताओं की नाराजगी दूर करने के प्रयास में लगे रहे. हालांकि किसी भी नेता ने सामने आकर खुलकर अपनी नाराजगी नहीं जतायी , लेकिन उनकी नाराजगी से सभी वाकिफ थे.

मार्च महीने में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पार्टी में मचे घमासान के बाद इस्तीफा दे दिया था, उस वक्त गढ़वाल के सांसद तीरथ सिंह रावत को पार्टी ने मुख्यमंत्री बनाया था, लेकिन मात्र चार महीने बाद ही उन्हें पद छोड़ना पड़ा. चूंकि वे विधायक नहीं थे इसलिए उन्हें छह माह के अंदर चुनाव जीतना था, लेकिन अब यह संभव प्रतीत नहीं हो रहा था क्योंकि वहां अगले साल विधानसभा चुनाव होना है.