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बांस के पौधे अब दूसरे राज्यों से नहीं खरीद सकेंगे विभाग, कारण है यह….

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रायपुर. प्रदेश में बांस (bamboo) के पौधे रोपने के लिए विभाग अब दूसरे राज्यों से बांस के पौधे नहीं खरीद सकेंगे। राज्य सरकार ने बांस के पौधे तैयार करने की जिम्मेदारी इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को सौंपी है। विवि की टिश्यू कल्चर लैब में बांस की प्रमुख 5 प्रजातियां तैयार करने में कृषि विज्ञानी जुटे हैं। इसके लिए राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के तहत विवि को दो करोड़ रुपये का फंड स्वीकृत हुआ है, जिसमें से एक करोड़ रुपये मिल चुके हैं। आपको बता दे कि प्रदेश में बांस के पौधे रोपित करने के लिए बंगाल, ओडिशा सहित अन्य राज्यों से बांस के पौधे खरीदते थे। अब इस पर रोक लगा दी गई है। विभागों को कृषि विवि से पौधों की मांग करनी होगी।

दूसरे राज्यों से पौधे मंगाने खर्च करते है लाखों

कृषि विवि के वैज्ञानिक डॉ. महेंद्र नौगरैया ने बताया कि शुरू में रायपुर और जगदलपुर टिश्यू कल्चर लैब में बांस (bamboo) के पौधे तैयार किए जा रहे है। बांस के पौधे तैयार किए जा सके, इसलिए कृषि विज्ञान केंद्रों में अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। जगदलपुर, राजनांदगांव जिलों में बांस की अच्छी फसल ली जा सकती है। इस पर शोध व प्रसार में कृषि विवि के कुलपति डॉ. संजय पाटिल लंबे समय से रुचि ले रहे हैं।

अब किसानों को मिलेंगी प्रमाणित प्रजातियां

कृषि वैज्ञानिकों की माने तो बांस (bamboo) की स्थानीय स्तर पर पैदावार होने पर किसानों को बांस की प्रमाणित प्रजातियां मिलेगी। किसान बांस की फसल लेने के लिए आगे आएंगे तो हरा सोना कहे जाने वाले बांस का रकबा बढ़ेगा। किसान पौधे रोपित करेंगे और एक साल बाद 80 फीसद पौधे जीवित पौधे होते हैं तो 50 फीसद सब्सिडी देने का प्रावधान है।