दिल्ली /पुरे देश में चल रहे किसान और राजनीतिक पार्टी के विरोध के बाद राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने संसद द्वारा पारित तीनों कृषि विधेयकों को स्वीकृति दे दी है।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने संसद द्वारा पारित तीनों कृषि विधेयकों को स्वीकृति दी। pic.twitter.com/ux5QQBk7wG
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 27, 2020
बता दे कि पिछले एक सप्ताह से किसान और राजनीतिक दल इस विधेयकों को वापस लेने की मांग कर रहे थे जिसके बाद देश भर के कई राज्यों में किसानो ने आंदोलन भी किये। इतना ही नहीं मोदी सरकार की सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल भी लगातार इस बिल को वापस लेने के लिए दबाव बना रही थी।
Thankyou Pawar Sahab. As one of the tallest farmer leaders, I’m sure you relate with the anguish of our farmers.@PawarSpeaks #FarmersBill https://t.co/29pvJPkJao
— Harsimrat Kaur Badal (@HarsimratBadal_) September 27, 2020
इतना ही नहीं केंद्र में अपनी पैठ बना चुकी मंत्री हरसिमरत कौर ने अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया लेकिन मोदी सरकार थी कि किसी भी कीमत में बिल वापस लेने तैयार नहीं थी। पिछले दिनों अकाली दल, कांग्रेस समेत कई अन्य दलों ने मिलकर राष्ट्रपति से गुजारिश भी की थी कि वो इस पर दस्तखत न करे। लेकिन इनकी अपील को राष्ट्रपति ने नामंजूर करते हुए तीनो विधेयक पास कर दिए।
बिल के मुख्य बिंदु
मोदी सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में संशोधन किया है. इसके जरिए खाद्य पदार्थों की जमाखोरी पर लगा प्रतिबंध हटा दिया गया है. यानी व्यापारी कितना भी अनाज, दालें, तिलहन, खाद्य तेल वगैरह जमा कर सकते हैं.
कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020 है. इसका उद्देश्य कृषि उत्पाद विपणन समितियों यानी एपीएमसी मंडियों के बाहर भी कृषि से जुड़े उत्पाद बेचने और खरीदने की व्यवस्था तैयार करना है. यानी मोदी सरकार ने वो व्यवस्था खत्म कर दी है, जिसमें किसान अपनी उपज APMC मंडियों में लाइसेंसधारी खरीदारों को ही बेच सकते थे.
मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा विधेयक, 2020, जो कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को कानूनी वैधता प्रदान करता है, ताकि बड़े बिजनेस वाले और कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट पर जमीन लेकर खेती कर सकें.