रायपुर। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे से चलने वाली 06 ट्रेनों में लगे 02 में से 01 पावर कार को हटाकर एक सामान्य कोच लगाए गए है। जिससे यात्रियों को अतिरिक्त सीटों की सुविधा मिल सकें।
वर्तमान में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की अधिकांश ट्रेनें अत्याधुनिक “हेड ऑन जेनरेशन” (HOG) प्रौद्योगिकी के साथ हरित यानी ‘ग्रीन’ ट्रेन के रूप में परिचालित की जा रही है।
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अब ये ट्रेनें कोचो में बिजली की आपूर्ति के लिए जनरेटर कारों में महंगे डीजल ईंधन को जलाने की बजाय ओवर हेड उपकरण (ओएचई) के माध्यम से सीधे ग्रिड से बिजली लेकर कोच में बिजली के उपकरणों आदि के लिए बिजली की जरूरतों को पूरा कर रही है।
HOG से इन गाड़ियों में मिले सामान्य कोच
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे से चलने वाली 06 ट्रेनों में HOG सिस्टम से सामान्य कोच की संख्या बढ़ी है।
* 02883 / 02884 दुर्ग-निज़ामुद्दीन-दुर्ग एक्सप्रेस स्पेशल
* 08201 / 08202 दुर्ग-नौतनवा-दुर्ग एक्सप्रेस स्पेशल
* 08203 / 08204 दुर्ग-कानपुर-दुर्ग एक्सप्रेस स्पेशल
HOG प्रणाली
एचओजी प्रणाली के द्वारा इंजन से सीधे इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन पावर केबल की शक्ति का उपयोग करके प्रकाश और एयर कंडीशनिंग के लिए कोचों को विद्युत आपूर्ति करने की एक प्रणाली है ।
एलएचबी आधारित ट्रेनों के कोचों के लिए विद्युत उत्पादन के सबसे आम तरीके को एंड ऑन जेनरेशन (EOG) कहा जाता है। प्रत्येक एलएचबी गाड़ियों पर कोचों को विद्युत आपूर्ति करने के लिए डीजल इंजन ले जाने वाली पावर कार के दो सेट होते थे,
जिसमें कोच में लाइट और एयर कंडीशनिंग के लिए बिजली की आपूर्ति ट्रेन के दोनों सिरों पर लगाए गए विद्युत कारों में उपलब्ध डीजल जेनरेटर सेट के माध्यम से की जाती है।
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वर्तमान में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की अधिकांश ट्रेनों में “हेड ऑन जेनरेशन” (HOG) प्रौद्योगिकी अपनायी जा रही है, जिससे ट्रेनों में आपातकालीन जरूरतो के लिए एक ही जनरेटर कार की आवश्यकता है।