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अलग ख़बर : होली को रंगीन बनाने पालक भाजी और चुकंदर से तैयार हो रहा हर्बल गुलाल…

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कोरबा। रंगों के त्यौहार होली के लिए देशभर में तैयारियां जोरों पर है। ऐसे में हर्बल गुलाल (Herbal gulal) की डिमांड बाजार में उठी है।छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले की महिलाओं ने इस त्यौहार को सेलिब्रेट करने के साथ ही आय का साधन जुटाने का जरिया भी बनाया है।
सूबे के कोरबा जिले के कटघोरा विकासखण्ड के धवईपुर में जननी महिला क्लस्टर संगठन की महिलाएं हर्बल गुलाल तैयार कर रही है।
तकरीबन 60 महिलाएं इस संगठन से जुड़कर त्योहारों में स्वनिर्मित स्वदेशी सामानों को बनाकर अच्छी आय प्राप्त कर रहीं हैं। होली, दिवाली, राक्षबन्धन तथा अन्य त्योहारों में यहां की महिलाएं आज आत्मनिर्भर हो गई है।
हर साल की तरह इस बार भी होली के त्यौहार को रंगीन बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। छत्तीसगढ़ में महिला समूहों द्वारा हर्बल गुलाल तैयार कर होली को सुरक्षित और खुशहाल बनाने की तैयारी की जा रही है। इससे महिलाओं के स्वावलंबन की राह खुलने के साथ इकोफ्रेंडली होली से लोग रंगों के साइड इफेक्ट से बचेंगे। होली पर्व में इस बार चुकंदर और भाजी के रंगों से बना हर्बल गुलाल बाजार में उपलब्ध रहेगा।
कटघोरा विकासखण्ड के धवईपुर और ढेलवाडीह, अमरपुर गोठान संचालित करने वाली छै समूह की 60 महिलाएं इसे तैयार कर रही हैं। सब्जियों, फूलों की पंखुड़ियों, गुलाब जल, चंदन, खस के इत्र आदि से तैयार हो रही हर्बल गुलाल की खास बात यह है कि इसमें किसी तरह का रसायनिक सामाग्री का उपयोग नहीं किया गया। गुलाल को पालक की भाजी से हरा रंग, लाल भाजी से गुलाबी रंग, चुकंदर से लाल रंग, हल्दी से पीला रंग दिया जा रहा है। गुलाब, गेंदा, टेसु जैसे फूलों की पंखुड़ियों से भी यह महिलाएं प्रीमियम क्वालिटी का हर्बल गुलाल बना रहीं हैं। महिलाओं ने आगामी होली के त्यौहार तक अलग-अलग रंग के लगभग पांच क्विंटल हर्बल गुलाल बनाने का लक्ष्य तय किया है। अब तक दो क्विंटल गुलाल तैयार कर चुकी हैं। प्रशासन की मदद से इस गुलाल की बिक्री के लिए समूहों को कटघोरा व कोरबा सहित स्थानीय बाजार उपलब्ध कराने की तैयारी की गई है।

Herbal Gulal में नहीं है कैमिकल-देवेश्वरी

धंवईपुर जननी महिला क्लस्टर संगठन की अध्यक्ष देवेश्वरी जायसवाल बताती हैं कि उन्हें और उनके जैसी लगभग 60 महिलाओं को दो चरणों में आजीविका मिशन के तहत हर्बल गुलाल बनाने का प्रशिक्षण मिला है। इसमें किसी भी तरह के रासायनिक पदार्थों का उपयोग नहीं किया गया है। इसमें चेहरे में निखार के लिए हल्दी, चंदन, गुलाब जल आदि मिलाया जा रहा है। रासायनिक पदार्थों का उपयोग नहीं होने से यह गुलाल त्वचा, आंख, बाल आदि के लिए हानिकारक नहीं होगा और इसे बिना किसी चिंता के लोग होली में उपयोग कर सकेंगे। इसके साथ ही यह आसानी से शरीर से छूट भी जाएगा।

हर्बल गुलाल की कीमत होगी 100 रुपए / किलो

प्रति किलो 60 रूपये खर्च- धवईपुर जननी महिला क्लस्टर संगठन से जुड़ी महिला समूह की पीआरपी फूल बाई मरकाम ने बताया कि एक किलो हर्बल गुलाल बनाने में 60 रूपये खर्च आता है। स्थानीय बाजार में 100 रूपये प्रति किलो की दर से बेचेंगे। आम बाजार में हर्बल के नाम से बिकने वाले गुलाल के मुकाबले यह अधिक विश्वसनीय और कम कीमत का है। देवेश्वरी जायसवाल ने आशा जताई है कि पांच क्विंटल हर्बल गुलाल से समूहों को होली के सीजन में 50 से 60 हजार रूपये का फायदा हो सकता है। समूहों ने आजीविका मिशन के अधिकारियों के साथ मिलकर स्थानीय थोक एवं फुटकर व्यापारियों के साथ स्वयं भी दुकानें लगाकर इस गुलाल की बिक्री की योजना तैयार कर ली है। इसके पहले समूह द्वारा कोरोना काल में मास्क बना कर अच्छी आय अर्जित की थी साथ रक्षाबंधन में राखियां तथा दीपावली में गोबर के दिये बनाने का काम महिला समूह द्वारा किया गया था।