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विधानसभा में गूंजा सूपेबेडा का मामला, बृजमोहन बोले “नहीं मांगी इच्छा मृत्यु…”

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रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में ध्यानाकर्षण के जरिए सूपेबेडा (Supebeda) में जल आवर्धन योजना में हो रही देरी पर सवाल दागा गया। भाजपा के वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल इस मामले को सदन के भीतर उठाया।

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उन्होंने कहा कि “दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसी एक गांव में 90 से ज्यादा लोगों की किडनी की बीमारी से मौत हो जाती है, साल 2019 के फरवरी महीने में स्वास्थ्य मंत्री वहां पहुंचते है और 2 साल बाद भी योजना का टेंडर जारी नहीं हो पाता है।

उन्होंने तंज़ कसते हुए कहा कि उधर सुपेबेड़ा में उस योजना की होर्डिंग टांग दी गई तक नहीं बुलाया जा सका है। यहां लोगों की जान जा रही है और अब तक टेंडर प्रक्रिया चल ही रही है।” बृजमोहन ने कहा कि “छत्तीसगढ़ में आज तक ऐसा नहीं हुआ कोई गांव का गांव कलेक्टर के पास जा कर यह कह दे कि हमें इच्छा मृत्यु दे दें।”

बृजमोहन ने सुपेबेड़ा में हुई मौतों और बीमारी या वजह पर भी सवाल दागा। उन्होंने कहा कि सुपेबेड़ा में कितने लोगों की मौत हुई है कितने लोगों को किडनी की बीमारी है या उनकी किडनी खराब है ?

Supebeda में मौतों के पीछे पानी नहीं-मंत्री

बृजमोहन के इन सवालों का जवाब देने पीएचई मंत्री गुरु रुद्र कुमार ने सदन को बताया कि ” सुपेबेड़ा में पीने के पानी की वजह से किसी की मृत्यु नहीं हुई है। 119 घरों में सीधे नलों के जरिये पीने का शुद्ध पानी दिया जा रहा है। 2009 से लेकर 21.12.2018 तक सुपेबेड़ा में 119 मौत हुई है। इसके बाद से अब तक 32 मौतें हुई है। ये सभी मौतें पानी की वजह से नहीं हुई, किन्हीं और वजह से हुई है। रूद्र गुरु ने सदन में कहा कि सुपेबेड़ा में साफ़ पानी लोगो तक पहुंचाने के लिए जो योजना बनी है उसका क्रियांवयन जल्द से जल्द पूरा कर लिया जाएगा।”

शिवरतन का तंज़ किसका बयान सहीं ?

इधर इस मामलें में विधायक शिवरतन शर्मा ने भी मंत्री से सवाल किया। उन्होंने कहा कि “प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने सूपेबेडा (Supebeda) में मौत के पीछे दूषित पेयजल को वज़ह बताई थी। उनका बयान आया था कि दूषित पेयजल की वजह से सुपेबेड़ा में लोगों की मौत हुई है ? ऐसे में पीएचई मंत्री का बयान सही या फिर स्वास्थ्य मंत्री का ? दूसरी बात यह है कि वित्त विभाग ने अब तक फाइल मंजूर नहीं की है तो फिर इस योजना की प्रशासकीय स्वीकृति कैसे मिल गई ?

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इस पर पीएचई मंत्री गुरु रुद्र कुमार ने कहा “स्वास्थ्य विभाग से जानकारी मंगाई गई है। स्वास्थ्य विभाग ने भी यह कहा है कि दूषित पेयजल की वजह से मौत नहीं हुई। जैसे ही मंत्री ने कहा वैसे ही अजय चंद्राकर ने कहा “आप कैसे कह सकते हैं कि दूषित पानी से मौत नहीं हुई ? आप क्या विशेषज्ञ है ?” इसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों में तीखी नोकझोक हुई और विपक्ष ने वाकआउट किया।