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पश्चिम बंगाल में सेना भेजने पर आयोग का बयान, “बलों को अग्रिम भेजना परिपाटी”

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नई दिल्ली। भारत निर्वाचन आयोग ने उन खबरों के जवाब में बयान ज़ारी किया है, जिनमें पश्चिम बंगाल में विशेष रूप से केंद्रीय पुलिस बल (Army) को भेजने पर सवाल उठाए गए थे।

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ऐसे मीडिया संस्थानों को इंगित करते हुए आयोग की तरफ से एक बयान ज़ारी किया गया है। इस बयान में कहा गया है कि “केन्‍द्रीय पुलिस बलों को अग्रिम रूप से भेजना मानक परिपाटी है।”

आयोग द्वारा ज़ारी बयान में कहा गया है कि भारत निर्वाचन आयोग के संज्ञान में आया है कि मीडिया के कुछ वर्गों में पश्चिम बंगाल राज्‍य में विशेष रूप से केन्‍द्रीय पुलिस बलों को भेजने की खबर छपी है।

इस संबंध में भारत निर्वाचन आयोग कहना चाहेगा कि “केन्‍द्रीय पुलिस बलों को नियमित रूप से अग्रिम क्षेत्रीय अधिकार के लिए लोकसभा/विधानसभा वाले राज्‍यों में भेजा जाता है, विशेषकर उन गंभीर और नाजुक क्षेत्रों में जिन्‍हें सावधानीपूर्वक की गई अग्रिम समीक्षा में चिन्हित किया जाता है और जिनके बारे में राजनीतिक दलों और अन्‍य इकाईयों सहित विभिन्‍न स्रोतों से पुख्‍ता फीडबैक प्राप्‍त होता है। यह परिपाटी 1980 के दशक से जारी है।”

भेजी गई थी Army

आयोग की तरफ से पिछले लोकसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा गया कि “2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी सभी राज्‍यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों में केन्‍द्रीय बल (Army) भेजे गए थे। इसी तरह केन्‍द्रीय बल उन सभी राज्‍यों में भेजे जा रहे हैं जहां चुनाव होने है।

वर्तमान मामले में केन्‍द्रीय पुलिस बल सभी चार राज्‍यों-असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और केन्‍द्र शासित प्रदेश पुद्दुचेरी में भेजे गए हैं। इन राज्‍यों में चुनाव होने वाले हैं।

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आयोग ने ये भी स्पष्ट किया कि केन्‍द्रीय पुलिस बल की तैनाती के लिए आदेश एक ही दिन यानी 16 फरवरी, 2021 को मुख्‍य सचिवों, पुलिस महानिदेशकों तथा मुख्‍य निर्वाचन अधिकारियों को जारी किए गए।