रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव ने 12 जनजाति समुदायों को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल कर उन्हें उनके संवैधानिक अधिकार व लाभ प्रदान करने के लिए कानून बनाने पर प्रसन्नता व्यक्त की है। साव ने कहा कि आजादी के बाद से महज़ लिपिकीय त्रुटि के कारण पिछले 70 वर्ष से अपने संवैधानिक अधिकारों और आरक्षण के लाभ से वंचित 12 जनजाति समुदायों के लोग अब अपना स्वर्णिम भविष्य गढ़ पाएंगे।
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साव ने कहा कि भारत के, विशेषकर आदिवासी प्रदेश छत्तीसगढ़ के इतिहास में कल 25 जुलाई का दिन मील के पत्थर के रूप में याद किया जाएगा, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने देश के 12 प्रमुख समुदायों को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल कर लिया।
कल राज्यसभा से भी यह विधेयक पारित होने के बाद अब क़ानून बन गया है। इससे इस महत्वपूर्ण निर्णय के लिए प्रदश भाजपा देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केन्द्रीय जनजाति कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा व केन्द्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह का बार-बार अभिनंदन करती है।
इन जातियों को मिलेगा लाभ
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष साव ने सूची में शामिल जातियों का विवरण दिया। भारिया भूमिया के समानार्थी भूईया, भूईयाँ, भूयां, धनवार के समानार्थी धनुहार धनुवार, नगेसिया, नागासिया के समानार्थी किसान, सावर, सवरा के समानार्थी सौंरा, संवरा, धांगड़ के साथ प्रतिस्थापित करते हुए सुधार, बिंझिया, कोडाकू के साथ साथ कोड़ाकू, कोंध के साथ-साथ कोंद, भरिया, भारिया, पंडो, पण्डो, पन्डो को जनजाति वर्ग में शामिल किया गया है।
जनजाति समुदायों के लिए ऐतिहासिक
साव ने कहा कि कल इस संबंध में संसद में प्रस्तुत विधेयक पर हुई चर्चा में भाग लेकर विभागीय मंत्री रेणुका सिंह ने सही कहा कि आज का यह दिन न केवल छत्तीसगढ़ में निवासरत आदिवासी समुदायों के लिए, अपितु देशभर में निवासरत 700 (सात सौ) जनजाति समुदायों के लिए ऐतिहासिक है। जिन 12 जातियों को सूची में लाने के लिए यह संशोधन प्रस्ताव लाया गया है,
उनमें से 10 जातियाँ लिपिकीय त्रुटियों के कारण संविधान प्रदत्त अधिकारों और लाभ से आजादी के इतने वर्षों बाद भी वंचित थीं। यहां विशेष तौर विशेष तौर पर उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र कही जाने वाली विशेष पिछड़ी पण्डो जनजाति भी आजादी के 75 वर्ष बाद भी अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल नहीं किए गए थे।
कांग्रेस सांसदों ने नहीं लिया चर्चा में भाग
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष साव ने कहा कि छत्तीसगढ़ आदिवासी बहुल राज्य है जहाँ आदिवासियों को त्रि-स्तरीय पंचायत चुनावों में भाग लेने का अधिकार प्राप्त है, लेकिन सूची से बाहर जनजाति समुदायों के लोग किसी भी तरह चुनाव में भाग नहीं ले पाते थे। अब जा कर सभी अनुसूचित जनजाति समुदायों को उनका अधिकार मिला है।
साव ने कहा कि इस विषय का सबसे दुर्भाग्यजनक पहलू यह है कि सदन में जब इस महत्वपूर्ण विधेयक पर चर्चा हो रही थी तब वहां छत्तीसगढ़ कोटा से आने वाले सभी कांग्रेसी सदस्य अनुपस्थित थे। भले वोट की राजनीति के मजबूरीवश कांग्रेस सड़क पर कुछ भी कहती रहे, लेकिन जब भी ऐसे कोई विषय परिणाम तक पहुँचने वाले होते हैं, तब कांग्रेस अड़ंगा लगाती ही है। आखिर 50 से अधिक वर्षों तक इसी कांग्रेस ने इन तमाम मामलों को लटकाए भी रखा था।
आदिवासी समाज को मिलेगी मुक्ति मिली : डॉ. रमन
पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने कहा कि आजादी के बाद से जिस पीड़ा को 12 अनुसूचित जनजातियां झेल रही थी उससे उन्हें अब मुक्ति मिली है। महज मात्रात्मक त्रुटि की वजह से इन 12 जनजातियों की पीढ़ियों को अपने अधिकारों और संविधान प्रदत्त लाभ से वंचित रहना पड़ा। इन समुदायों के लाखों लोग अब शिक्षा, स्वास्थ्य और संविधानिक अधिकार व आरक्षण का लाभ मिलेगा।
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डॉ. सिंह ने कहा कि यह काम एक दो दिनों के लिए नहीं हुआ है बल्कि इन जनजातियों की पीढ़ियों को इसका स्थायी रूप से लाभ मिलेगा। डॉ. सिंह ने इसके लिए प्रदेश और प्रदेश की इन जनजातियों समुदायों की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय जनजाति कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा व केन्द्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह का आभार माना।