spot_img

बिकरू कांड में मिली तीसरी जमानत, नहीं मिला साक्ष्य

HomeNATIONALबिकरू कांड में मिली तीसरी जमानत, नहीं मिला साक्ष्य

कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुए 2 जुलाई 2020 को चर्चित बिकरू काण्ड (BIKRU KAND) में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अभियुक्त अरविन्द त्रिवेदी उर्फ गुड्डन के ड्राइवर सुशील कुमार तिवारी की जमानत अर्जी को मंजूर करते हुए उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ सिंह ने दिया है. बिकरू कांड में अब तक तीन लोगों को जमानत मिल चुकी है, अन्य आरोपी अभी भी जेल में हैं।

शर्तों पर दी जमानत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत की अर्जी को मंजूर करते हुए सुशील पर जमानत पर रहने के दौरान आवश्यक शर्ते भी लगाई हैं। सुशील के वकीलों की दलील थी कि उसकी बिकरू कांड (BIKRU KAND) में कोई भूमिका नहीं है। एफआईआर में उसका नाम भी नहीं है। उसे सिर्फ इस घटना के सह अभियुक्त अरविन्द त्रिवेदी का ड्राइवर होने के कारण फंसा दिया गया है। उसके पास किसी हथियार की बरामदगी तक नहीं हुई है और न ही किसी अभियुक्त के बयान से भी उसकी इस घटना में कोई भूमिका साबित होती है।

भैयाजी ये भी देखें : सीएम के हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग, पैदल चलने का वीडियो वायरल

दोनों पक्षों को सुनकर दिया फैसला

जमानत अर्जी का विरोध कर रहें अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल का कहना था कि याची बिकरू कांड के मुख्य अभियुक्त विकास दुबे को पैसे और कारतूस कि सप्लाई करता था। बिकरू कांड (BIKRU KAND) में उसकी अहम भूमिका थी और उसे पुलिस पर हमला करने की योजना की भी पूरी जानकारी थी। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कहा कि सुशील के खिलाफ बिकरू कांड में शामिल होने का एक भी साक्ष्य नहीं है। पुलिस द्वारा इस मामले में लिए गए सभी बयान सही भी मान लिए जाएं तब भी याची की इस घटना में कोई भूमिका नहीं साबित होती है।

क्या था मामला

बता दें कि 2 जुलाई 2020 को कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में कुख्यात बदमाश के घर दबिश देने गई पुलिस टीम पर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने हमला कर दिया था। बदमाशों ने पुलिस कर्मियों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई थी, जिसमें डिप्टी एसपी समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे और छह से ज्यादा घायल हो गए थे। पुलिस पर हमले के बाद मुख्य आरोपी विकास दुबे फरार हो गया था, जिसे घटना के एक सप्ताह बाद मध्य प्रदेश के उज्जैन मन्दिर से गिरफ्तार किया गया था और कानपुर लाते समय एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया था।