बिलासपुर। IPS मुकेश गुप्ता के प्रमोशन को निरस्त करने के मामलें में हाईकोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। इस मामलें में डिवीजन बैंच ने सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस दीपक तिवारी ने प्रमोशन निरस्त करने के सरकार के फैसले को सही करार दिया है।
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बैंच ने इसके साथ ही कैट से उन्हें दी गई राहत के आदेश को भी निरस्त करने का आदेश दिया है। दरअसल इस मामलें में कैट फिर सिंगल बैंच के द्वारा मुकेश गुप्ता के पक्ष में आदेश जारी किया गया था। जिसके खिलाफ शासन ने डबल बैंच में अपील की थी। जहाँ आज सुनवाई पूरी होने के बाद ये फैसला लिया गया है।
गौरतलब है कि IPS मुकेश गुप्ता ने शासन के प्रमोशन निरस्त के आदेश के खिलाफ केंद्रीय प्रशासनिक अभिकरण में केस लगाया था। जिस पर कैट ने उनके पक्ष में आदेश दिया और शासन के प्रमोशन निरस्त करने के आदेश पर रोक लगा दी थी।
राज्य शासन ने कैट के इस फैसले को ग़लत बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। सभी पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने मुकेश गुप्ता के पक्ष में आदेश दिया और कैट के फैसले को सही ठहराया था।
सिंगल बेंच के इस आदेश के खिलाफ राज्य शासन ने हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में चुनौती दी, शासन का पक्ष रखते हुए उपमहाधिवक्ता जितेंद्र पाली ने बताया था कि “उन्हें केंद्र सरकार के परमिशन के बिना ही प्रमोशन दिया गया था। जबकि, इसके लिए केंद्र सरकार से अनुमति लेनी चाहिए थी। सभी पक्षों को सुनने के बाद डिवीजन बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा था, जिस पर आज आदेश जारी करते हुए शासन की अपील को स्वीकार कर लिया है।”
इसी महीने रिटायर होंगे मुकेश गुप्ता
गौरतलब है कि इस मामलें में 16 सितंबर को गृह मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ के IPS अफसर मुकेश गुप्ता को लेकर आदेश जारी किया। जिसमें एडीजी गुप्ता का निलंबन उनकी ओर से दी गई अपील, राज्य सरकार के नोट और संबंधित कोर्ट के ऑर्डर पर विचार के बाद रद्द किया गया। आईपीएस अधिकारी 30 सितंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। अब इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार आमने-सामने आते दिख रहे हैं।
मुकेश गुप्ता का ये है पूरा मामला
IPS मुकेश गुप्ता को राज्य शासन ने पूर्व में 2018 में प्रमोशन देकर ADG से DG बना दिया था। तब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी। इसके बाद कांग्रेस ने चुनाव जीता। सरकार ने उनके खिलाफ हुई शिकायतों के आधार पर जांच कराई।
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आरोप सही पाए गए और उनके खिलाफ अलग-अलग कई आपराधिक प्रकरण दर्ज किए गए। इसके साथ ही साल 2019 में उनके प्रमोशन आदेश को निरस्त कर दिया गया।