दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार के. सुब्रमण्यम (Krishnamurthy Subramaniam) ने शुक्रवार (08 अक्टूबर) को पद छोड़ने की घोषणा की। सुब्रमण्यम ने कहा कि मेरा तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। मैंने अब पुन: अकादमिक कार्यों में जुटने का फैसला लिया है। उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक नोट साझा करते हुए कहा कि देश की सेवा करना, परम सौभाग्य रहा। इस दौरान मुझे अद्भुत समर्थन और प्रोत्साहन मिला है।
सलाहकार से पहले प्रोफेसर थे सुब्रमण्यम
पेशे से प्रोफेसर रहे कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम (Krishnamurthy Subramaniam) को तीन साल पहले देश का नया मुख्य आर्थिक सलाहकार नियुक्त किया गया था। तब वो इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, हैदराबाद में प्रोफेसर थे। उल्लेखनीय है कि के. सुब्रमण्यम तब अरविंद सुब्रमण्यम के उत्तराधिकारी के तौर पर वित्त मंत्रालय से जुड़े थे। अरविंद सुब्रह्मण्यम साढ़े चार साल तक मोदी सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे थे। जिसके बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
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शिकागो बूथ स्कूल से करी है पीएचडी
कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम (Krishnamurthy Subramaniam) ने शिकागो बूथ स्कूल से पीएचडी की उपाधि हासिल की है। इन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ाई की है। सुब्रमण्यम ने शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस से वित्तीय अर्थशास्त्र में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है।
यहां रह चुके सदस्य
के. सुब्रमण्यम की बैंकिंग, कॉरपोरेट कामकाज और आर्थिक नीतियों जैसे विषयों पर विशेष पकड़ रही है। वह भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड यानि सेबी के लिए कॉर्पोरेट गवर्नेंस समिति तथा भारतीय रिजर्व बैंक के लिए बैंक गवर्नेंस समिति में विशेषज्ञ के तौर पर भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। इसके अलावा वह सेबी की वैकल्पिक निवेश नीति, प्राथमिक बाजार, द्वितीयक बाजार एवं शोध पर स्थायी समितियों के सदस्य रह चुके हैं। सुब्रमण्यम बंधन बैंक, राष्ट्रीय बैंक प्रबंधन संस्थान और आरबीआई अकादमी के निदेशक मंडल के भी सदस्य रहे हैं।