अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में बच्चादानी फटने से प्रसूता और नवजात की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि बलरामपुर जिले की गर्भवती महिला को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। परिजनों ने डॉक्टर्स पर लापरवाही का आरोप लगाया है। कहा कि नॉर्मल डिलीवरी की कोशिश में दोनों की जान गई है।
वहीं मामले में मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक आर.सी. आर्या ने कहा कि उसे क्रिटिकल कंडीशन में लाया गया था। बच्चादानी फटा हुआ था। वहीं पूर्व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि मामले की जांच होनी चाहिए। वहीं प्रसव कराने वाली दाई ने बताया कि नर्स बार-बार पेट को दबाते रहे, जिससे खून की उल्टी हुई।
10 सिंतबर को प्रसव पीड़ा होने पर कराया गया भर्ती
जानकारी के मुताबिक, शंकरगढ़ अंतर्गत करासी निवासी मुनिया तिर्की (36) को 10 सिंतबर को प्रसव पीड़ा होने पर उप स्वास्थ्य केंद्र भरतपुर ले जाया गया। वहां उसे उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शंकरगढ़ भेज दिया गया।
शंकरगढ़ उप स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर्स ने जांच के बाद सामान्य प्रसव की स्थिति न होना बताया। अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल रेफर कर दिया। 10 सितंबर की रात करीब 10.30 बजे मुनिया तिर्की को मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में भर्ती किया गया।
रात को नॉर्मल डिलवरी कराते रहे डॉक्टर
मुनिया तिर्की को 10-11 सिंतबर की रात प्रसव पीड़ा बढ़ने पर डॉक्टर नॉर्मल डिलवरी की कोशिश करते रहे। मुनिया तिर्की के साथ आए परिजनों ने ऑपरेशन करने की गुहार लगाई, लेकिन उन्हें बाहर कर दिया गया। डॉक्टर्स और अस्पताल स्टाफ ने कहा कि जब पहले के 2 बच्चे नॉर्मल हुए हैं तो तीसरा भी नॉर्मल होगा।
बताया जा रहा है कि जब महिला का दर्द बढ़ा तो डॉक्टर्स ने पेट की जांच की। इस दौरान डॉक्टर्स को पेट के अंदर बच्चे की मौत की जानकारी लगी। चिकित्सकों ने आनन-फानन में मुनिया तिर्की का ऑपरेशन किया।
परिजनों को सौंपा गया मृत बच्चा, प्रसूता की भी मौत
11 सितंबर को सुबह परिजनों को अस्पताल में मृत बच्चा सौंप दिया गया। वहीं स्थिति गंभीर होने के कारण मुनिया तिर्की को ICU में रखा गया था। गुरुवार सुबह उसकी भी मौत हो गई। मुनिया तिर्की के पति हरिवंश ने कहा कि जब यहां लाया गया था तो मां-बच्चा दोनों स्वस्थ थे। अस्पताल की लापरवाही से दोनों की जान चली गई।
सिंहदेव बोले-जांच होनी चाहिए
वहीं मामले में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि मामले की जांच होनी चाहिए। इसे ही प्रसव शिशु मृत्यु कहा जाता है। महिला को 9 माह इलाज मिला या नहीं। यह स्थिति क्यों बनी कि बच्चादानी फट गया। इसकी जांच होनी चाहिए।