बिलासपुर। महामहिम राज्यपाल रमेन डेका और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज बिलासपुर के अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित 5वां दीक्षांत समारोह में शिरकत की। उन्होंने 64 विषयों में विद्यार्थियो को 92 गोल्ड मेडल तथा 48 को पी.एच.डी. और 35 हजार 291 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भारत के सर्वाेच्च न्यायालय के न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा शामिल हुए। उन्हें भारतीय न्याय व्यवस्था में अमूल्य योगदान पर पी.एच.डी. की मानद उपाधि से विभूषित किया गया।
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दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल रमेन डेका ने कहा कि विश्वविद्यालय हमारी सामूहिकता, ज्ञान और संस्कृति के संरक्षक है। वे ऐसे स्थान है जहां इतिहास संरक्षित किया जाता है। साहित्य का विश्लेषण किया जाता है। आप अपनी पढ़ाई के माध्यम से विचार के विविध क्षेत्रों मेें जुड़ रहें है मानवता के बारे में आपकी विचार को समृद्ध किया जा रहा है। भारत सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 दूरदर्शिता का प्रतिनिधित्व करती है। इसका उद्देश्य युवाओं को तेजी से गतिशील दुनिया में आगे बढ़नेे के लिए कौशल और ज्ञान से परिपूर्ण करना है।
छत्तीसगढ़ के लिए यह नीति प्रगतिशील सुधारों की लहर लाती है, जो हमारे शैक्षणिक संस्थानों पर गहरा प्रभाव डालने के लिए तैयार है। विश्वविद्यालय में संचालित पाठ्यक्रम को न केवल उभरते हुए रूझानों और प्रौद्योगिकी के प्रति गतिशील और उत्तरदायी बनाना चाहिए बल्कि इसमें भारतीय परंपरा की समृद्ध विरासत भी शामिल होनी चाहिए। हम मिलकर एक उच्च शिक्षा प्रणाली का निर्माण कर सकते हैं, जो न केवल हमारे छात्रों की जरूरतों केा पूरा करेगी बल्कि हमारे राज्य और राष्ट्र के समग्र विकास में योगदान देगी।
युवा अपनी रूचि के क्षेत्रों में नाम रौशन करेंगे
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि देश विकसित भारत 2047 के संकल्प हेतु क्रियाशील है, हम भी प्रदेश में विकसित छत्तीसगढ़ विजन 2047 के लक्ष्य को लेकर कार्य कर रहे हैं। मैं आश्वस्त हूँ कि इस दीक्षांत समारोह के बाद इस संस्थान के प्रतिभाशाली युवा अपनी रूचि के क्षेत्रों में अपना और अपने विश्वविद्यालय का नाम रौशन करते हुए इस संकल्प को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान देंगे। यह विश्वविद्यालय अपने नवाचारों से एक उदाहरण बनता जा रहा है। मुझे यह भी ज्ञात हुआ है कि प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (पीएम उषा) के अंतर्गत विश्वविद्यालय को 20 करोड़ रुपए का अनुदान प्राप्त हुआ है जो प्रशंसनीय है तथा इससे विश्वविद्यालय की अधोसंरचना का विस्तार होगा और यहां उच्च शिक्षा का स्तर और भी उन्नत होगा।
विश्वविद्यालय का तेजी से हुआ विकास
सर्वाेच्च न्यायालय के न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा ने कहा कि विश्वविद्यालय का तेजी से विकास हुआ है इसे भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ द्वारा अकादमिक और प्रशासनिक विकास केन्द्र के रूप में मान्यता दी गई है जो विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान की जाने वाली प्रशिक्षण की गुणवत्ता को दर्शाता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 उच्च शिक्षा के साथ-साथ कानूनी क्षेत्र में भी विकास और उन्नति के अवसर खोलती है। कार्यक्रम को केन्द्रीय शहरी राज्य विकास मंत्री तोखन साहू और उप मुख्यमंत्री अरूण साव ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में स्वागत भाषण कुलपति आचार्य अरूण दिवाकर नाथ वाजपेयी ने दिया। उन्होंने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों से सभी को अवगत कराया।
इस अवसर पर उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्तिगण, पंडित सुंदर लाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति वंश गोपाल, नंद कुमार पटेल विश्वविद्यालय के कुलपति एल.पी. पटेरिया, हेमचंद विश्वविद्यालय दुर्ग की कुलपति डॉ. अरूणा पलटा, भूपेन्द्र सवन्नी, कुलसचिव शैलेन्द्र दुबे प्रशासनिक अधिकारी सहित बड़ी संख्या में विभिन्न महाविद्यालयों के प्राचार्य, यूनिवर्सिटी केे प्राध्यापक एवं विद्यार्थी मौजूद थे।