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SC-ST आरक्षण में क्रीमीलेयर का विरोध, देश भर में प्रदर्शन जारी

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दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के SC-ST आरक्षण में क्रीमीलेयर लागू करने के सुझाव के खिलाफ बुधवार को दलित-आदिवासी संगठनों ने 14 घंटे का भारत बंद बुलाया है। प्रदर्शनकारियों ने बिहार के दरभंगा और आरा में ट्रेनें रोक दी हैं। जहानाबाद, सहरसा और पूर्णिया में नेशनल हाईवे जाम कर दिया है।

राजस्थान के जयपुर, भरतपुर और मध्यप्रदेश के ग्वालियर समेत विभिन्न राज्यों के कई शहरों में एहतियातन स्कूल और कोचिंग सेंटर की छुट्टी की गई है। भरतपुर में इंटरनेट और अलवर में रोडवेज बसें बंद कर दी गई हैं। नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन ने कोर्ट के सुझाव को दलित और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताया है। साथ ही केंद्र सरकार से इसे रद्द करने की मांग की है। कांग्रेस, TMC, सपा समेत तमाम विपक्षी दलों ने बंद का समर्थन किया है।

बिहार के पूर्णिया में भारत बंद के दौरान प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर टायर जलाकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। जहानाबाद में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की हुई। आरा रेलवे स्टेशन पर रानी कमलापति-सहरसा एक्सप्रेस को रोका गया। - Dainik Bhaskar

SC/ST रिजर्वेशन में क्रीमी लेयर लागू नहीं होगा: पीएम

अनुसूचित जाति और जनजातियों (SC/ST) के आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू नहीं किया जाएगा। पीएम मोदी ने 9 अगस्त को संसद भवन में उनसे मिलने आए 100 दलित सांसदों को यह आश्वासन दिया। देर शाम केंद्र ने इसकी घोषणा भी कर दी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई ने 1 अगस्त को यह टिप्पणी की थी कि SC-ST में भी क्रीमी लेयर लागू करने पर विचार करना चाहिए। इसे लेकर दलित सांसदों ने PM से मिलकर अपनी चिंता जताई थी।

बिहार के आरा रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शनकारियों ने 01663 रानी कमलापति-सहरसा एक्सप्रेस ट्रेन को रोका है। प्रदर्शनकारी ट्रैक पर बैठ गए।

कोर्ट के फैसले से SC-ST के संवैधानिक अधिकारों को खतरा: संगठन

NACDAOR सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की बेंच के दिए गए SC-ST आरक्षण में क्रीमीलेयर लागू करने के सुझाव के विरोध में है। संगठन का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला ऐतिहासिक इंदिरा साहनी मामले में 9 जजों की बेंच के पहले के फैसले को कमजोर करता है। वर्तमान सुझाव SC-ST के संवैधानिक अधिकारों को खतरा पहुंचाता है।

भारत बंद के दौरान बिहार के सहरसा में केन्द्र सरकार के विरोध में नारे लगाए गए।

सुप्रीम कोर्ट ने SC रिजर्वेशन में कोटे में कोटा को दी थी मंजूरी

सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त को इस बारे में बड़ा फैसला सुनाया था। राज्य सरकारें अब अनुसूचित जाति, यानी SC के रिजर्वेशन में कोटे में कोटा दे सकेंगी। अदालत ने 20 साल पुराना अपना ही फैसला पलटा था। तब कोर्ट ने कहा था कि अनुसूचित जातियां खुद में एक समूह हैं, इसमें शामिल जातियों के आधार पर और बंटवारा नहीं किया जा सकता।

कोर्ट ने अपने नए फैसले में राज्यों के लिए जरूरी हिदायत भी दी थी। कहा था कि राज्य सरकारें मनमर्जी से फैसला नहीं कर सकतीं। फैसला सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संविधान पीठ का था। इसमें कहा गया कि अनुसूचित जाति को उसमें शामिल जातियों के आधार पर बांटना संविधान के अनुच्छेद-341 के खिलाफ नहीं है।