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जमीन की खरीदी – बिक्री में गड़बड़ी करने वाले तीन उप पंजीयक को सरकार ने किया निलंबित, जिन पर हुआ एक्शन उसमें से एक पूर्व सीएम के इलाके का

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रायपुर। जमीन की खरीदी और बिक्री में बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ी का मामला सामने आया है। जमीन के पंजीकरण में मनमानी स्टांप शुल्क लगाकर राजस्व को करोड़ों का चूना लगाने वाले अफसरों पर पंजीयन विभाग के मंत्री ओपी चौधरी ने निलंबन की कार्रवाई की है।

चौधरी ने जीरो टालरेंस नीति अपनाते हुए मामले में रायपुर की वरिष्ठ उप पंजीयक मंजूषा मिश्रा, धमतरी के उप पंजीयक सुशील देहरी और पाटन की उप पंजीयक शशिकांता पात्रे को निलंबित कर दिया है। इन तीनों उप पंजीयकों के खिलाफ जांच में एक करोड़ 63 लाख रुपये की गड़बड़ी करने के आरोप है।

निलंबन आदेश महानिरीक्षक पंजीयन विभाग ने जारी किया है। ये कार्रवाई पंजीयन विभाग में गठित सतर्कता प्रकोष्ठ की जांच रिपोर्ट के बाद हुई है। मंत्री चौधरी ने कुछ महीने पहले ही सतर्कता प्रकोष्ठ का गठन किया था। यह प्रकोष्ठ प्रदेश में हुई व्यावसायिक पंजीयन समेत बड़े रकबे के पंजीयन की प्रक्रिया की जांच कर रही है। आने वाले समय में कुछ जिलों के अन्य पंजीयकों पर भी कार्रवाई की गाज गिर सकती है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी रहेगी मुहिम: ओपी चौधरी

पंजीयन विभाग के मंत्री ओपी चौधरी ने मीडिया को बताया, कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रहेगी। सरकार ने इस मामले में पूरी पारदर्शिता के साथ जांच की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए दोषियों के खिलाफ कठोर कदम उठाने की बात की है। विष्णु देव साय सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस नीति पर काम कर रही है और किसी भी प्रकार की वित्तीय गड़बड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

इन गड़बड़ियों के बाद हुई कार्रवाई

  • स्टांप शुल्क में मनमानी छूट देकर किया गया खेल
  • जमीन की गाइडलाइन दरों का किया गया उल्लंघन
  • रायपुर में एक ही प्लाट की तीन-तीन अलग-अलग लोगों के नाम रजिस्ट्री

इन पर ये आरोप

  • विभागीय आदेश के अनुसार रायपुर की वरिष्ठ उप पंजीयक मंजूषा मिश्रा पर प्रविधानों के विपरीत वाणिज्यिक अथवा व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को स्टांप शुल्क से अनियमित छूट देने का आरोप है। साथ ही गाइडलाइन उपबंधों का सही सही पालन न करने और गलत मूल्यांकन कर अनियमितता कर राज्य सरकार को मुद्रांक एवं पंजीयन शुल्क के रूप में 87 लाख 12 हजार 714 रुपये की राजस्व हानि पहुंचाने का आरोप है।
  • इस तरह सुशील देहारी पर रायपुर में रहते हुए प्रविधानों के विपरीत वाणिज्यिक अथवा व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को स्टांप शुल्क से अनियमित छूट देने, गाइडलाइन का उल्लंघन और प्रापर्टी का गलत मूल्यांकन करने का आरोप है। इससे सरकार को 55 लाख 42 हजार 677 रुपये की राजस्व हानि हुई है।
  • तीसरे अधिकारी शशिकांता पात्रे पर दुर्ग में पदस्थ रहने के दौरान पंजीयन में गाइडलाइन उपबंधों का सही सही पालन न करने और गलत मूल्यांकन कर अनियमितता पूर्वक पंजीयन करने का आरोप है। उनकी वजह से राज्य सरकार को 21 लाख 14 हजार 689 रुपये की राजस्व हानि हुई।