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कारगिल में मोदी बोले-अग्निपथ का मकसद सेना को युवा बनाना, विपक्ष इस पर झूठ फैला रहा

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दिल्ली। कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ पर शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी ने लद्दाख में 1999 की जंग के नायकों को श्रद्धांजलि दी। वह कारगिल वॉर मेमोरियल भी गए। करीब 20 मिनट के संबोधन में PM ने पाकिस्तान, आतंकवाद, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, अग्निपथ योजना और विपक्ष पर बात की।

PM ने कहा- पाकिस्तान प्रॉक्सी वॉर के जरिए चर्चा में बना रहना चाहता है। उन्होंने अपने इतिहास से कुछ नहीं सीखा। अतीत में आतंकवाद को लेकर उनके हर प्रयास विफल रहे। मैं जहां खड़ा हूं, वहां से आतंक के आकाओं तक मेरी आवाज पहुंच रही होगी। उनके मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे।

कारगिल की जीत देश की विजय थी

देश की जनता का आशीर्वाद है कि मुझे तीसरी बार मौका दिया, जो हम ये दिन मना रहे हैं। अगर वही आ जाते तो ये दिन नहीं मनाते। कारगिल की जीत किसी सरकार, दल की जीत नहीं थी। ये देश की विजय थी, देश की विरासत है। ये देश के गर्व और स्वाभिमान का पर्व है। मैं 140 करोड़ देशवासियों की तरफ से नमन करता हूं। सभी को कारगिल विजय के 25 साल पूरे होने की शुभकामनाएं देता हूं।

ये वहीं लोग हैं जिन्होंने वन रैंक वन पेंशन का सपना दिखाया

ये वहीं लोग हैं जिन्होंने 500 करेाड़ दिखाकर वन रैंक वन पेंशन का सपना दिखाया। कहां 500 करोड़ और कहां सवा लाख करोड़, इतना झूठ .. ये वही लोग है जो आजादी के 70 साल बाद भी सेना की मांग के बाद भी हमारे शहीदों के लिए वॉर मेमोरियल नहीं बनाया। टालते गए। नक्शे बनाते गए। कमेटियां बनाते गए। ये वही लोग हैं, जिन्होंने सीमा पर तैनात जवानों को बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं दी। देश की जनता का आशीर्वाद है कि मुझे तीसरी बार मौका दिया, जो हम ये दिन मना रहे हैं। अगर वही आ जाते तो ये दिन नहीं मनाते।

अग्निवीर के नाम पर कुछ लोग देश के युवाओं को गुमराह कर रहे हैं

मैं ऐसे लोगों से पूछना चाहता हूं कि जो आज भर्ती होगा, क्या उसे आज ही पेंशन देना होगा। जब 30 साल बाद पेंशन देना होगी, तब मोदी 105 साल का होगा। तब क्या मोदी की सरकार होगी? लेकिन मेरे लिए दल नहीं देश सर्वोपरि है।
मैं गर्व से कहना चाहता हूं सेना के फैसलों का सम्मान किया है। मैंने पहले भी कहा है कि हम राजनीति नहीं राष्ट्रनीति के लिए काम करते हैं। हमारे लिए 140 करोड़ की शांति सुरक्षा पहले हैं। जो लोग देश के युवाओं को गुमराह कर रहे हैं, उनका इतिहास साक्षी है कि उन्हें सैनिकों की परवाह नहीं है।