नई दिल्ली। केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में ‘आर्थिक समीक्षा 2023-24’ पेश करते हुए कहा कि पिछले पांच वर्षों में सार्वजनिक निवेश में वृद्धि के परिणाम स्वरूप भारत में स्वच्छता और जलापूर्ति सहित भौतिक और डिजिटल संपर्क तथा सामाजिक अवसंरचना में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई, जिससे लोगों के गुणवत्तापूर्ण जीवन में सुधार हुआ।
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सर्वेक्षण के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से महामारी के कारण धीमी अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ, जिससे भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढांचा सुविधाओं के लिए पूंजीगत व्यय में बृद्धि हुई। वित्तवर्ष 2020 की तुलना में 2024 में सरकार के पूंजीगत व्यय में लगभग तीन गुणा की वृद्धि सामने आई है। इसका सर्वाधिक फायदा सड़क और रेलवे जैसी बुनियादी सुविधाओं में हुआ है।
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, रणनीतिक योजना और सार्वजनिक निवेश में तेजी के परिणाम स्वरूप सड़क नेटवर्क प्रणाली का सुगम और कुशल अवसंरचना में उन्नयन हुआ है। वित्तवर्ष 2015 में केंद्र सरकार और निजी क्षेत्र द्वारा पूंजी निवेश 0.4 प्रतिशत से बढ़कर वित्तवर्ष 2024 में सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 1.0 प्रतिशत (लगभग 3.01 लाख करोड़ रुपए) हो गया। सर्वेक्षण के अनुसार, इस क्षेत्र ने वित्तवर्ष 2024 में अपने अब तक के सबसे अधिक निजी निवेश को आकर्षिक किया, क्योंकि निजी क्षेत्र अनुकूल नीति वातावरण पर पूंजीकरण करता है।
सर्वेक्षण के मुताबिक पिछले दस वर्षों में राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई, जो 2014 से 2024 तक 1.6 गुणा बढ़ गई है। भारतमाला परियोजना ने राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना का बहुत विस्तार किया है, जिससे वर्ष 2014 और 2024 के बीच तीव्रगति वाले कॉरिडोर की लंबाई 12 गुणा और चार लेन की सड़कों की लंबाई 2.6 गुणा बढ़ गई है। इसके अलावा, गलियारे पर आधारित राष्ट्रीय राजमार्ग विकास दृष्टिकोण के माध्यम से व्यवस्थित प्रयासों के कारण राजमार्ग निर्माण की दक्षता में सुधार हुआ है।
सर्वेक्षण के अनुसार राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण की औसत गति वित्तवर्ष 2014 में 11.7 किलोमीटर प्रतिदिन की तुलना में वर्ष 2024 तक तीन गुणा से अधिक बढ़कर 34 किलोमीटर से अधिक प्रतिदिन हो गई है। सर्वेक्षण के मुताबिक राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क में उल्लेखनीय सुधार से लॉजिस्टिक दक्षता में पर्याप्त प्रगति हुई है। यह विश्वबैंक के लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स में भारत की बढ़ती रैंकिग से स्पष्ट है। इसके अनुसार भारत 2014 में 54वीं रैंकिंग से बढ़कर 2018 में 44वीं रैंकिंग और 2023 में 38वीं रैंकिंग पर आ गया।
लॉजिस्टिक दक्षता को और बढ़ाने के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (एमएमएलपी) समर्पित किए हैं। इसके अनुसार वित्त वर्ष 2024 तक कुल 6 मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (एमएमएलपी) प्रदान किए गए और वित्त वर्ष 2024 में समर्पित मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (एमएमएलपी) के लिए 2505 करोड़ रुपए प्रदान किए गए। इसके अलावा वित्त वर्ष 2025 में सात मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (एमएमएलपी) प्रदान करने की योजना है।
भारतीय रेलवे 68584 किलोमीटर मार्ग (31 मार्च 2024 तक) और 12.54 लाख कर्मचारियों (1 अप्रैल 2024 तक) के साथ एकल प्रबंधन के अंतर्गत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क है। नई रेल लाइनों के निर्माण, गेज रूपांतरण और दोहरीकरण में महत्वपूर्ण निवेश के साथ पिछले पांच वर्षों में रेलवे का पूंजीगत व्यय 77 प्रतिशत (वित्तवर्ष 2024 में 2.62 लाख करोड़ रुपए) बढ़ गया है।
सर्वेक्षण के अनुसार भारतीय रेलवे ने वित्तवर्ष 2024 में इंजन और डिब्बों का अब तक सबसे अधिक निर्माण किया है। इसके अनुसार मार्च 2024 तक वंदेभारत के 51 जोड़े तैयार किए गए हैं। अवसंरचना संवर्द्धन की तीव्रगति वित्तीय आवंटन में पर्याप्त वृद्धि के साथ-साथ परियोजना की गहन निगरानी और भूमि के शीघ्र अधिग्रहण तथा स्वीकृतियों के लिए हितधारकों के साथ नियमित अनुवर्ती कार्रवाई का परिणाम है।
सर्वेक्षण में रेलवे स्टेशन और रेल गाडियों के आस-पास स्वच्छ वातावरण उपलब्ध कराने के लिए कई पहलों जैसे- यात्री डिब्बों में पारंपरिक शौचालयों के स्थान पर जैव शौचालय लगाना, जिससे पटरियां स्वच्छ बनी रहे, बायोडिग्रेडेबल और नॉन-बायोडिग्रेडेबल (जैब निम्नीकरण/गैर-जैव-निम्नीकरण) अपशिष्टों के अलग करना, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और एक बार उपयोग वाले प्लास्टिक के प्रयोग में कमी का उल्लेख किया गया है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार रेलवे के लिए जिन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाएगा उनमें तेजी से क्षमता बढ़ाना, चल स्टॉक का आधुनिकीकरण और रख-रखाव, सेवाओं की गुणवत्ता और ऊर्जा दक्षता में सुधार करना शामिल है। इसके अनुसार समर्पित माल-गलियारे, तीव्र गति की रेलगाड़ियां, वंदेभारत, अमृत भारत एक्सप्रेस, आस्था स्पेशल रेलगाड़ियां, उच्च क्षमता वाले रोलिंग स्टॉक और देश में हर जगह रेल संपर्क जैसी आधुनिक यात्री सेवाओं जैसे क्षेत्रों में निवेश को प्राथमिकता दी जाती है।
सर्वेक्षण के अनुसार तीन प्रमुख गलियारों अर्थात (1.) उच्च यातायात घनत्व वाले गलियारों, (2.) ऊर्जा, खनिज और सीमेंट गलियारों तथा (3.) रेल सागर (बंदरगाह संपर्क) गलियारों के लिए परियोजनाओं की भी योजना बनाई गई है, जिससे लॉजिस्टिक्स लागत और कार्बन उत्सर्जन कम किया जा सके।
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सर्वेक्षण के अनुसार रेलवे ने नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कार्बन उत्सर्जन में कमी की योजना बनाई है और सामान्य स्थिति के अनुसार 2029-30 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता की स्थापना की अपेक्षित आवश्यकता लगभग 30 गीगावॉट है। सर्वेक्षण में अन्य रणनीतियों में डीजल से विद्युत कर्षण में स्थानांतरण, ऊर्जा दक्षता और वनीकरण को प्रोत्साहन देना शामिल है।